Bihar Budget : बिहार में बिजली की मांग 71 फीसदी व खपत 72.4 फीसदी बढ़ी, पटना, गया और मुजफ्फरपुर रहे आगे

राज्य में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत भी 2014-15 के 203 किलोवाट के मुकाबले वर्ष 2020-21 में 350 किलोवाट हो गयी. यह 72.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2022 1:38 PM

पटना. बीते छह वर्षों में बिहार में ऊर्जा की मांग, उपलब्धता व खपत में काफी सुधार हुआ है. बिहार आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014-15 में बिहार में अनुमानित चरम मांग 3500 मेगावाट थी, जो वर्ष 2020-21 में बढ़ कर 5995 मेगावाट हो गयी है. इसी तरह, राज्य में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत भी 2014-15 के 203 किलोवाट के मुकाबले वर्ष 2020-21 में 350 किलोवाट हो गयी. यह 72.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है.

वर्ष 2016 -17 में राज्य में बिजली की कुल खपत 2.16 हजार करोड़ यूनिट थी जो बढ़ कर 3.14 हजार करोड़ यूनिट हो गयी है. वहीं, मांग की चरम आपूर्ति में लगभग 109.5 प्रतिशत वृद्धि हुई जो 2014-15 के 2831 मेगावाट से बढ़ कर वर्ष 2020-21 में 5932 मेगावाट हो गयी. वर्ष 2014-15 में लगभग 19 फीसदी पीक डेफिसिट रहती थी, जो वर्ष 2019-20 में शून्य हो गयी. बिजली की उपलब्धता अब ग्रामीण क्षेत्रों में 20-22 घंटे जबकि शहरी क्षेत्रों में 23 -24 घंटे हो गयी है.

बिजली खपत में पटना, गया और मुजफ्फरपुर सबसे अव्वल वर्ष 2020-21 में बिजली की खपत मामले में तीन संपन्न जिले पटना (521.1 करोड़ यूनिट), गया (203.1 करोड़ यूनिट) और मुजफ्फरपुर (144.4 करोड़ यूनिट) थी. सबसे पीछे के तीन जिले शिवहर(11.5 करोड़ यूनिट), अरवल (21.4 करोड़ यूनिट) और शेखपुरा (24.7 करोड़ यूनिट) रहे.

वहीं, वर्ष 2019-20 और 2020-21 के बीच बिजली की खपत में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज करने वाले तीन जिले बक्सर (23.5 प्रतिशत), अरवल (20.2 प्रतिशत) और अररिया (20.1 प्रतिशत) हैं. कोविड महामारी के चलते गैर घरेलू और औद्योगिक खपत कम होने से पटना एकमात्र जिला रहा, जहां वर्ष 2020-21 में बिजली की खपत गत वर्ष से पांच प्रतिशत घट गयी.

बिहार में 13029 मेगावाट बिजली की होगी उपलब्धता

सर्वेक्षण के मुताबिक वर्ष 2023-24 तक बिहार में बिजली की कुल उपलब्ध क्षमता 13029 मेगावाट होने की उम्मीद जतायी गयी है. इसमें से 9031 मेगावाट (69.3 प्रतिशत) पारंपरिक बिजली होगी, जबकि शेष 3998 (30.7 प्रतिशत) अपारंपरिक बिजली होगी. बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न स्त्रोतों से 6607 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता चरणबद्ध ढंग से बढ़ाने की योजना बनायी है.

वर्ष 2023-24 तक छोटी जलविद्युत इकाइयों से 54 मेगावाट, केंद्रीय विद्युत तापघरों से 8343 मेगावाट, केंद्रीय जलविद्युत उत्पाद केंद्रों से 754 मेगावाट, स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों से 688 मेगावाट, सौर ऊर्जा से 1828 मेगावाट और पवन ऊर्जा से 1362 मेगावाट बिजली मिलने की उम्मीद जतायी गयी है.

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