Budget 2023: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, इसकी मांग लगातार सियासे गलियारे से उठती रही है. आम बजट 2023 संसद में पेश किया जाएगा. इस दौरान अब तमाम उम्मीदें बिहार के लिए विशेष पैकेज को लेकर रहेगी. एकतरफ जहां महागठबंधन बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है. वहीं भाजपा की आरे से ये साफ बोला जाता रहा है कि अब इसका कोई प्रावधान नहीं है. वहीं अब विशेष पैकेज और केंद्रीय योजनाओं में राज्यांश घटाने की ओर सबका ध्यान रहेगा.
बिहार में भाजपा और महागठबंधन विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर आमने-सामने रहा है. एनडीए में रहते हुए भी जदयू ने इसकी मांग की थी. वहीं भाजपा की ओर से ये साफ किया जाता रहा है कि वित्त आयोग की रिपोर्ट में विशेष राज्य की अवरधारणा को ही खत्म कर दिया गया है. केंद्र की ओर से मिले विशेष पैकेज पर वो अपना दावा मजबूती से रखती है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के पिछड़ेपन का हवाला देते हुए इसकी मांग हाल में भी कर चुके हैं.
1 फरवरी को पेश हो रहे केंद्र सरकार के बजट में विशेष पैकेज मिलने की उम्मीदें रहेंगी. विशेष राज्य के दर्जे की मांग भी लगातार उठ रही है. अब देखना यह है कि बिहार को सौगात के रूप में क्या मिलता है. बता दें कि विशेष राज्य का दर्जा पांचवें वित्त आयोग के प्रस्ताव पर 1969 में शुरू की गयी थी. शुरुआत में ये तीन राज्यों असम, नागालैंड और जम्मू कश्मीर को दिया गया जो आगे चलकर 11 राज्यों को मिला.
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1969-1974 – पहली बार असम, जम्मू-कश्मीर और नागालैंड को दर्जा मिला. चौथी पंचवर्षीय योजना के दौरान ये दिया गया.
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1974-1979 – हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम और त्रिपुरा को भी दर्जा मिला. पांचवी पंचवर्षीय योजना के दौरान दर्जा मिला.
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1990 -अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को दर्जा मिला.
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2001 में उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा मिला.
सभी राज्यों की हालत एक समान नहीं रहती है. राज्यों को संसाधन उपलब्ध कराने में एक ही पैमाने सभी राज्यों के लिए थे. अलग-अलग क्षेत्रों का विकास एक तरह से नहीं हो रहा था. 1969 में राष्ट्रीय विकास परिषद् की बैठक में Gadgil Formula के तहत कुछ राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात उठी. केंद्र से मिलने वाले अनुदान में प्राथमिकता इन राज्यों को दी जाने लगी.
सामान्य राज्य और विशेष राज्य के बीच फर्क इस बात से समझा जा सकता है कि सामान्य राज्य को केंद्र के द्वारा दी गयी वित्तिय सहायता में 70% कर्ज के रूप में और 30% मदद के तौर पर मिलता है. वहीं जब विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो केंद्र से मात्र 10% कर्ज के रूप में और बाकी 90% मदद के तौर पर दी जाती है.
विशेष दर्जा वाले राज्य में निजी पूंजी निवेश के तहत अगर कोई उद्योग या कारखाना लगाना चाहे तो केंद्रीय करों में ख़ास छूट मिल जाती है. उस राज्य में पूंजी निवेश करने वालों की संख्या बढ़ती और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं. केन्द्रीय योजनाओं में देनदारी बहुत कम होने के कारण राज्य अपने खजाने की राशि को अन्य मदों में खर्च करती है.
Posted By: Thakur Shaktilochan