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Bihar Budget : बिहार में बेरोजगारी दर हुआ कम, कोरोना काल में भी मिली 19515 लोगों को नयी नौकरी

बिहार में बेरोजगारी दर की स्थिति पहले की तुलना में और दूसरे राज्यों के मुकाबले थोड़ी बेहतर हुई है. हाल में पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, यह 5.7 प्रतिशत है. यहां के शहरी क्षेत्र में यह प्रतिशत 9.3 है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में 5.2 प्रतिशत है.

पटना. प्रदेश में कोरोना काल में 19515 लोगों को सरकारी नौकरियां विभिन्न प्रतिस्पर्धी एक्जाम से हासिल की हैं. बिहार लोक सेवा आयोग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 4586 लोगों की नियुक्तियों की अनुशंसा की है. यह पिछले चार सालों में सबसे अधिक है. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि इससे पहले के सालों मसलन 2019-20 में 1481, 2018-19 में 3340 और 2017-18 में 1862 अभ्यर्थियों की नियुक्तियों की अनुशंसा बिहार लोक सेवा आयोग ने की थी.

बिहार तकनीकी सेवा ने 2020-21 में 2172 अभ्यर्थियों का चयन किया. इसमें 2085 सामान्य चिकित्सा अधिकारी हैं. वर्ष 2021 में संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा नियुक्तियां पुलिस विभाग ने दी हैं. 2021 में 11838 सिपाही नियुक्ति किये गये. चलंत दस्ता में 465 और 454 महिला सिपाहियों की नियुक्ति की गयी है. उल्लेखनीय है कि यह नियुक्तियां इसलिए खास मानी जा रही है,क्योंकि इन दिनों कोरोना पीक पर रहा. रोजगार के क्षेत्र में संकट खड़ा हो गया था. इसके अलावा प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रशिक्षितों को 2020-21 में 11137 लोगों ने रोजगार पाया.

कैजुअल लेबर की संख्या सबसे ज्यादा

बिहार में बेरोजगारी दर की स्थिति पहले की तुलना में और दूसरे राज्यों के मुकाबले थोड़ी बेहतर हुई है. हाल में पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, यह 5.7 प्रतिशत है. यहां के शहरी क्षेत्र में यह प्रतिशत 9.3 है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में 5.2 प्रतिशत है. राज्य के शहरी क्षेत्रों में महिलाओं में बेरोजगारी दर 12.60 प्रतिशत है, जो केरल (11.80 प्रतिशत) एवं झारखंड (10.20 प्रतिशत) के बाद तीसरा सबसे ज्यादा है.

बेरोजगारी दर में देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार का स्थान छठवां है. यहां से ज्यादा बेरोजगारी दर केरल में 11.60 प्रतिशत, तेलंगाना में 7.50, असम का 8.30, हरियाणा का 6.70, उड़िसा का 6.70, तमिलनाडु का 5.90 और पंजाब का 7.80 प्रतिशत है. वहीं, देश में सबसे कम बेरोजगारी दर गुजरात की 2.20 प्रतिशत है.

इसके बाद मध्य प्रदेश का 3.20, महाराष्ट्र का 3.50, यूपी का 4.80, छत्तीसगढ़ का 3.50, झारखंड एवं कर्नाटक का 4.60 तथा आंध्र प्रदेश का 5.10 प्रतिशत बेरोजगारी दर है. अगर राष्ट्रीय स्तर की बात करें, तो बेरोजगारी दर शहरी क्षेत्रों में 22.60 प्रतिशत है. वहीं, बिहार में यह 9.30 प्रतिशत है.

इसके अलावा अगर कैजुअल लेबर की बात करें, तो पूरे देश में बिहार में इनकी संख्या दूसरी सबसे ज्यादा है, जो 30.80 प्रतिशत है. इसमें महिला की संख्या सबसे ज्यादा 36.20 प्रतिशत है. यहां से ज्यादा आंध्र प्रदेश में इनकी संख्या 31.70 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्तर पर कैजुअल लेबर का औसत 21.30 प्रतिशत है. बिहार के बाद तमिलनाडु में 27.70, केरल में 26.80, ओड़िसा में 22.90, पंजाब में 22, मध्य प्रदेश में 21.90 प्रतिशत कैजुअल लेबर हैं. वहीं, गुजरात में 15.60, हरियाणा में 17.90, राजस्थान में 13.80, कर्नाटक में 19.30, असम में 18.30 प्रतिशत है.

कृषि सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर

बिहार में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर कृषि है, जो 45.60 प्रतिशत लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है. इसमें पुरुषों (45.90 प्रतिशत) के मुकाबले महिलाओं (74.50 प्रतिशत) की संख्या ज्यादा है. राष्ट्रीय स्तर पर कृषि क्षेत्र ने 45.60 प्रतिशत लोगों को रोजगार दे रखा है. बिहार में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र निर्माण क्षेत्र 18.70 प्रतिशत है.

तीसरा क्षेत्र होलसेल एवं रिटेल ट्रेड (मोटरगाड़ी रिपेयरिंग समेत) है, इसका प्रतिशत 12.60 है. ट्रांसपोर्ट एंड स्टोरेज सेक्टर में पांच, मैन्यूफ्रैक्चरिंग सेक्टर में 4.8 और शिक्षा क्षेत्र में 3.40 प्रतिशत है. शिक्षा क्षेत्र में रोजगार करने में महिलाओं की सबसे ज्यादा सात फीसदी हिस्सेदारी है. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 6.4 प्रतिशत है.

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