Bihar by-election: बिहार की चार विधानसभा सीटों पर बाइपोल इलेक्शन होने हैं। वोटिंग 13 नवंबर को होगी और मतों की गणना 23 नवंबर को होगा। बिहार के इन चारों सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के अलावा नई पार्टी जनसुराज के प्रत्याशी भी मैदान में हैं। वैसे तो यह सिर्फ उपचुनाव है, लेकिन इसे अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले एनडीए और इंडिया गठबंधन की साख की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है।
बेलागंज सीट पर रहा है राजद का कब्जा
इन चारों सीटों में एक सीट है बेलागंज की, जो काफी चर्चा में है। इस सीट पर कई सालों से राजद का कब्जा रहा है। इस सीट से राजद के सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव चुनावी मैदान में हैं। वहीं इस सीट से जदयू के टिकट से मनोरमा देवी उनके सामने है। वहीं यहां से जनसुराज से मोहम्मद अमजद चुनावी मैदान में हैं।
जदयू का दावा परिवर्तन चाहते हैं लोग
मनोरमा देवी ने दावा किया है कि वह इस बार चुनाव जीत रही हैं। क्योंकि बेलागंज की जनता बदलाव चाहती है। न्यूज एजेंसी आईएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विधानसभा के लिए माहौल कैसा है यह जनता बताएगी। लेकिन, माहौल काफी अच्छा है। मैं विधानसभा क्षेत्र में घूम रही हूं। यहां की जनता बीते 35 सालों से मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। क्षेत्र में नाली, सड़क और पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर बेलागंज की जनता हमें समर्थन देती है तो सबसे पहले हम उन्हें उनका मान-सम्मान देने का काम करेंगे। सीट जीतने के बाद यहां की जनता जो भी काम बताएगी उसे पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रहूंगी।
प्रशांत किशोर के आने से मची है खलबली
वहीं जन सुराज के आने से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। पार्टी के प्रत्याशी मोहम्मद अमजद ने दावा किया कि प्रशांत किशोर के चुनावी मैदान में आने से एनडीए और इंडिया गठबंधन में खलबली मची हुई है। पहले इस सीट पर राजद के उम्मीदवार ने कोई काम नहीं किया है। उन्होंने दावा किया कि हम निश्चित तौर पर जीतेंगे।
प्रशांत किशोर बिगाड़ सकते हैं राजद का खेल
बता दें, एक अनुमान के अनुसार, बेलागंज सीट पर सबसे अधिक यादव मतदाता हैं। इसके बाद मुस्लीम मतदाताओं की संख्या अधिक है। राजद का वोट बैंक हमेशा से यादव और मुस्लीम समाज के लोग माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि जनसुराज के उम्मीदवार अमजद यदि मुस्लीम वोटरों को मनाने में सफल रहे तो राजद की राह मुश्किल हो सकती है।