पटना. सीएजी की रिपोर्ट में राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र और नगर निकायों के साथ पंचायत क्षेत्रों कई स्तर पर गड़बड़ी की बात कही है. स्वास्थ्य के योजना मद में 2013 से 18 के बीच 75 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पायी है, जो राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत शुरू किये गये निर्माण कार्यों की खराब प्रगति के कारण हुआ है.
राज्य के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण में 56 प्रतिशत और गैर-शिक्षण क्षेत्र में 70 प्रतिशत सीटें खाली हैं. पांच मेडिकल कॉलेजों बेतिया मेडिकल कॉलेज, दरभंगा मेडिकल कॉलेज, आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और एनएमसीएच में नमूना जांच किया गया है. फैकल्टी की कमी के कारण इनकी पढ़ाई में 14 से 52 प्रतिशत की कमी आयी है.
कक्षा, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, छात्रावास समेत अन्य सभी आधारभूत संरचनाओं में कमी है. इन कॉलेजों में उपकरणों में 38 से 92 फीसदी की कमी है. मशीनों को चलाने वाले मानव बल उपलब्ध नहीं हैं. खराब पड़ी मशीनों की मरम्मती के लिए ठोस पहल नहीं की जा रही है.
पावापुरी और मधेपुरा मेडिकल कॉलेज में 2012 से 2017 तक और पटना के चार कॉलेजों के सफाई मद में 78 करोड़ 47 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान हुआ है. परामर्शियों को सात करोड़ 35 लाख का भुगतान किया गया है, जो नियमानुसार नहीं है. 12 साल के दौरान सात करोड़ 30 लाख के डीसी बिल लंबित पड़े हैं.
2015-17 के दौरान स्थानीय निकायों को जारी अनुदानों में चार हजार 621 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं हुआ है. पंचायती राज विभाग ने 2015-16 में अनुदान देने में देरी करने के कारण ग्राम पंचायतों को आठ करोड़ 12 लाख रुपये ब्याज के तौर पर देना पड़ा. स्थानीय निकायों में 14वीं वित्त आयोग ने 19 अनुशंसाएं की है, जिसमें सिर्फ दो ही लागू हुई हैं. स्थानीय निकायों ने अपने संसाधनों से राजस्व संग्रह के लिए जरूरी कदम नहीं उठाये.
सीवान नगर परिषद में भूमि अर्जन के लिए तीन करोड़ 15 लाख का अनियमित भुगतान किया गया. पंचायती राज संस्थाओं और नगर पालिकाओं में मानव बल का घोर अभाव है. स्थानीय निकायों में कूड़ेदान की खरीद में छह करोड़ 98 लाख की गड़बड़ी मिली है.
मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत कार्य की प्रगति संतोषजनक नहीं थी. नमूना जांच में ग्राम पंचायत में 15 प्रतिशत और नगर पालिकाओं में 24 प्रतिशत ही काम पूरा पाया गया है. राज्य स्तर पर 41 प्रतिशत कार्य पूरे हुए हैं.
राज्य सरकार ने 31 मार्च 2019 तक 188 करोड़ रुपये कर्मियों से लेने के बाद भी राष्ट्रीय पेंशन स्कीम में जमा नहीं किया है. इसके अलावा बिहार राज्य सड़क विकास निगम लिमिटेड ने 10 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री राहत फंड ट्रस्ट में दिया है, जो कंपनी एक्ट के नियमों का उल्लंघन है.
इस निगम ने हुडको से 193 करोड़ रुपये का गैर-जरूरी ऋण ले लिया था, जिसकी वजह से 37 करोड़ 75 लाख रुपये का ब्याज देना पड़ा. दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में बिना वास्तविक सर्वेक्षण के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार करने में देरी होने की वजह से परियोजना लागत में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हो गयी, जिससे 979 करोड़ रुपये की हानि हुई है. ब्रेडा ने बिना परफॉरमेंस गारंटी नहीं वसूलने के कारण पांच करोड़ 93 लाख का अतिरिक्त बोझ पड़ा है.
Posted by Ashish Jha