Bihar: दो साल के मासूम के गले में फंसा काजू, पिता के सामने तड़प-तड़प कर तोड़ा दम
Bihar: पूर्वी चंपारण के बंजरिया थाना क्षेत्र के चाइलाहा चौक निवासी राजेश कुमार के दो साल के मासूम बेटे कार्तिक कुमार के गले में काजू फंसने से मौत हो गयी. परिजनों ने उसे रविवार दोपहर पौने दो बजे इलाज के लिए एसकेएमसीएच में भर्ती करवाया.
Bihar: पूर्वी चंपारण के बंजरिया थाना क्षेत्र के चाइलाहा चौक निवासी राजेश कुमार के दो साल के मासूम बेटे कार्तिक कुमार के गले में काजू फंसने से मौत हो गयी. परिजनों ने उसे रविवार दोपहर पौने दो बजे इलाज के लिए एसकेएमसीएच में भर्ती करवाया. काजू का टुकड़ा बच्चे के गले में फूड व विंड नली के बीच में फंसा हुआ था. इस वजह से वह सांस नहीं ले पा रहा था. डॉक्टर काजू निकालने का कुछ उपाय कर पाते, उससे पहले ही मासूम ने तड़प- तड़प कर दम तोड़ दिया. बेटे की माैत के बाद पिता राजेश कुमार व उसकी मां अस्पताल परिसर में ही बार-बार बेहोश हो रहे थे. आंख के सामने तड़प-तड़प कर बेटे की मौत को उसके परिवार के लोग भी नहीं भुला पा रहे थे. काफी मशक्कत के बाद परिवार के सदस्यों व रिश्तेदारों ने संभाला. फिर, निजी गाड़ी से घर भेजा.
खेलते- खेलते निगल गया काजू
पिता राजेश कुमार ने बताया कि रविवार की सुबह उनका बेटा घर में खेल रहा था. खेलते- खेलते टेबल पर रखे एक काजू का टुकड़ा को निगल गया. काजू उसके गले में फंस गया. बच्चे को जब सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा. परिजन उसे आनन-फानन में इलाज के लिए पहले निजी हॉस्पिटल में ले गये, वहां से डॉक्टर ने रेफर किया तो मोतिहारी सदर अस्पताल पहुंचे. फिर, वहां से डॉक्टर ने उसको एसकेएमसीएच रेफर कर दिया. बच्चे को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन लगाया गया था. साथ में एक निजी अस्पताल के डॉक्टर उज्जवल भी एसकेएमसीएच आये थे. यहां 20 मिनट तक इलाजरत रहने के बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया.
बच्चे के गले में कोई वस्तु अटक जाये तो इन तरीकों से करें प्राथमिक उपचार
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सबसे पहले तो शोर-शराबा या चिल्लाएं नहीं
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बच्चे को गोद में लेकर बैठे और फिर बच्चे का मुंह नीचे की ओर कर के अपनी जांघ पर लिटा दें, इस दौरान उसके सिर और गर्दन को सहारा दे, बच्चा का सिर उसके धड़ के स्तर से नीचे हो
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हथेली से बच्चे के पीठ पर कंधों के बीच हल्का-हल्का थपथपायें, इससे अटकी चीज निकल जायेगी
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यदि ऐसे भी न निकले तो बच्चे को सीधा करें
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अपनी दो अंगुलियों की मदद से बच्चे की छाती को हल्का-हल्का दबाये, नहीं निकले तो यह प्रक्रिया पांच-पांच बार दोहराये.