पटना हाइकोर्ट में जाति गणना मामले में आज सुनवाई होगी. इस मामले में चार मई को पटना हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश बिहार में चल रही जाति गणना पर रोक लगा दी थी. रोक के अंतरिम आदेश के बाद बिहार सरकार ने पटना हाइकोर्ट में इस मामले में नौ मई को सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी. कोर्ट ने याचिका को लेकर कहा था कि नौ मई को इस बात की सुनवाई करेंगे कि केस की अगली सुनवाई तीन जुलाई को ही होगी या पहले की कोई तारीख दी जा सकती है. इसके बाद कोर्ट ने नौ मई को सरकार की अपील खारिज कर दी और कहा कि सुनवाई के लिए मुकर्रर तारीख तीन जुलाई ही रहेगी. गौरतलब है कि बिहार में जाति गणना की शुरुआत सात जनवरी से हुई थी. पहले फेज का काम पूरा होने के बाद दूसरे फेज का काम 15 अप्रैल से किया जा रहा था.
पटना हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं के द्वारा दिये गए याचिका में कहा गया है कि जातीय गणना पर सरकार के द्वारा करीब 500 करोड़ खर्च किया जा रहा है. ये जनता के टैक्स का पैसा है. इसे सरकार के द्वारा बर्बाद किया जा रहा है. इसके साथ ही, कहा गया है कि बिहार सरकार के पास लोगों की जातियां गिनने का अधिकार नहीं है. जाति गणना कराकर सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है. जातीय गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्यौरा लिया जा रहा है. ये उसकी गोपनियता के अधिकार का हनन है.
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बिहार सरकार के द्वारा राज्य में जाति गणना का काम 7 जनवरी 2023 को शुरू किया गया था. ये कार्य दो चरणों में किया जाना था. सात जनवरी से 21 जनवरी तक पहले चरण की गणना हुई. जबकि, दूसरे चरण के गणना का काम एक अप्रैल से शुरू किया गया था. पहले चरण में मकान की गिनती हुई, जबकि दूसरे चरण में जाति और आर्थिक गणना की गई. राज्य सरकार के द्वारा गणना कार्य में लगे कर्मचारियों की ट्रेनिंग भी इसके लिए करायी गई थी.