पटना. जाति आधारित गणना में परिवार के सदस्यों का डिटेल लेने के दौरान गणनाकर्मी जाति के साथ धर्म के बारे में जानकारी लेंगे. जातिगत जनगणना में हिंदू धर्म को कोड 1 मिला है. इसके बाद इस्लाम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्म का क्रमश: छह तक नंबर है. इससे इतर कोई अन्य धर्म बताते हैं, तो जनसंख्या कर्मी कोड 7 लिखेंगे. यदि कोई व्यक्ति यह बताता है कि वह किसी धर्म का पालन नहीं करता है, तो उसे ”कोई धर्म नहीं” के कॉलम में लिखा जायेगा. ऐसे लोगों को कोड 08 में रखा जायेगा.
जाति आधारित गणना में धर्म को लेकर छह विकल्प दिये गये हैं. इसमें हिंदू, इस्लाम, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध व जैन धर्म शामिल हैं. फार्म में हिन्दू-01, इस्लाम- 02, ईसाई-03, सिख-04, बौद्ध-05, जैन-06, अन्य धर्म-07, कोई धर्म नहीं-08. परिवार के सदस्यों का डिटेल लेने के समय कोई ”अन्य धर्म” को लिखाता है तो गणनाकर्मियों को यह सुनिश्चित कर लेना होगा कि कहीं वह व्यक्ति उपरोक्त धर्मों का कोई पर्यायवाची नाम तो नहीं बता रहा है. हर धर्म में अलग-अलग जाति के लिए कोड निर्धारित है. उपजातियों के लिए कोड का प्रावधान नहीं है.
इधर, आदिवासी समुदाय का एक हिस्सा हिंदू नहीं बल्कि सरना धर्म को मानता है. उनके मुताबिक सरना वो लोग हैं जो प्रकृति की पूजा करते हैं. इनकी मांग है कि सरकार ‘सरना धर्म कोड’ को लागू करे. ये लोग खुद को प्रकृति का पुजारी बताते हैं और मूर्ति पूजा में यकीन नहीं करते हैं. इनकी मांग है कि फॉर्म में दूसरे सभी धर्मों की तरह सरना के लिए अलग से एक कॉलम बनाया जाये. हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चयन, जैन, सिख और बौद्ध की तरह ‘सरना’ को भी अलग धर्म का दर्जा मिले.
बिहार में करीब 50-60 हजार लोग खुद को ‘सिख’ बताते हैं. ज्यादा भी हो सकते हैं. फार्म में उनके लिए धर्म की श्रेणी में ‘सिख’ लिखने का तो विकल्प है, लेकिन जैसे ही बात जाति की आती है यह धर्म संकट में पड़ जाते हैं. क्योंकि सिख धर्म के लिए जातीय जनगणना में जातीय कोड अलग से नहीं दिया गया है. धर्म सिख लिखेंगे और जाति हिंदू वाली. अबतक जिन्हें ‘सिख’ होने के आधार पर अल्पसंख्यक वर्ग का लाभ मिलता था, उन्हें आनेवाले वक्त में फायदा मिलेगा या नहीं- यह बड़ा सवाल खालसा पंथ के अनुयायियों को परेशान कर रहा है.