Chaitra Navratri 2023. नवरात्रि में बड़ी संख्या में बिहार से लोग उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित मां विंध्यवासिनी के दर्शन को जाते हैं. यहां पर मां महाकाली व अष्टभुजा माता के त्रिकोण का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि यह एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर एक साथ तीन देवियां भक्तों का कल्याण करती हैं. यही कारण है कि मां के दरबार में जो भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं वो कभी खाली हाथ वापस नही जाते हैं.
हिन्दू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है.दुर्गा के नौ रूपों की यहां पर विशेष तरीके से पूजा होती है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु विंध्याचल मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. पुराणों में विंध्य क्षेत्र का उल्लेख तपोभूमि के रूप में किया जाता है. कहा जाता है कि यह पूरे विश्व का एक मात्र ऐसा स्थान है, जहां पर तीनों देवी महालक्ष्मी, महाकाली व महासरस्वती ईशान कोण पर है. 51 शक्तिपीठों में से एक मां विंध्यवासिनी महालक्ष्मी के रूप में, कालीखोह महाकाली के रुप में और माता अष्टभुजा महासरस्वती के रूप में विराजमान है. तीनों देवियों के महाशक्तियों का त्रिकोण कहा जाता है. यही वजह है कि यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है और नंगे पांव ही मां विंध्यवासिनी, मां अष्टभुजा व मां महाकाली के दर्शन के लिए त्रिकोण यात्रा करते है. सप्तमी और अष्टमी पर इस त्रिकोण की पूजा का विशेष महत्व होता है.
आध्यात्मिक धर्मगुरुों का कहना है कि विंध्य क्षेत्र में विराजमान मां विंध्यवासिनी धाम में त्रिकोण परिक्रमा के लिए स्वयं देवता भी लालायित रहते हैं. विंध्य धाम में दो त्रिकोण है. पहला सूक्ष्म त्रिकोण है, वहीं दूसरा वृहद त्रिकोण है. इसी कारण इस धाम का विशेष महत्व है. माँ विंध्यवासिनी का त्रिकोण इच्छा,क्रिया के साथ ज्ञान का त्रिकोण है. मां विंध्यवासिनी के दर्शन के बाद जो भी त्रिकोण करता है, उसके जन्म जन्मांतर के सारे पाप खत्म हो जाते है और उस व्यक्ति के धन, यश व कीर्ति में बढ़ोत्तरी होती है. विंध्याचल धाम ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर मां भगवती के पूरे विग्रह के दर्शन होते हैं.