पटना. अस्पतालों में बेड नहीं मिलने के कारण ब्लड कैंसर पीड़ित 11 वर्षीय किशोर चंदन कुमार की गुरुवार को मौत हो गयी. चंदन कुमार नवादा के कौआकोल प्रखंड के नवाडीह गांव का रहने वाला था. परिजन एक अस्पताल से दूसरे, दूसरे से तीसरे अस्पताल का चक्कर काटते रहे और इधर एंबुलेंस में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया. हद तो तब हो गयी जब बच्चे की मौत के बाद परिजन नवादा सदर अस्पताल में यूरिनल पाइप को निकलवाने गये. पुर्जा कटवाने के बाद भी वहां के स्टाफ या नर्स ने डॉक्टर के कहने के बाद भी यूरिनल पाइप को नहीं निकाला.
अंत: रोते-बिलखते परिजन घर लौट गये और खुद से बच्चे के यूरिनल पाइप को जैसे-तैसे निकाला. पाइप में खून आ चुका था. ये बातें कहते हुए चंदन के चाचा अभिषेक प्रताप उर्फ गुड्डू यादव रो पड़े. कहने लगे- सर, मेरी पैरवी नहीं थी, गरीब हूं, इसलिए अस्पतालों में भर्ती करना तो दूर, स्टाफ ने सीधे मुंह बात तक नहीं की और भगा दिया. कहा-कोई बड़े आदमी का पैरवी लेकर आओ…सांसद से पैरवी करवाओ, तब लेंगे भर्ती. दहाड़ मार-मार कर रोते चाचा बस यही कह रहे थे, रे बबुआ… तू बीमारी से न मर ले रे बेटा, इलाज के अभाव में मर ले हैं.
दरअसल, जब वर्धमान अस्पताल से चंदन को रेफर किया गया, तो परिजनों ने सरकारी एंबुलेंस बुलवाया. एंबुलेंस पहुंचते ही चालक ने पूछा कहां जाना है? परिजनों ने जैसे कहा कि पटना एम्स जाना है, यह सुन चालक ने कहा- चक्कर लगाते रह जाइयेगा भइया. चलिए फिर भी. परिजन जब पटना एम्स पहुंचे, तो वहां के स्टाफ ने पुर्जा देखते ही कह दिया कि यहां बेड नहीं है. आप कहीं और जाइए. जब परिजन गिड़गिड़ाने लगे, तो स्टाफ ने कहा सांसद से पैरवी करवाओ. यहां 12 आइसीयू बेड ही हैं. पीएमसीएच में भर्ती तो लिया, लेकिन डॉक्टर ने पुर्जा देखते हुए कहा कि यहां कैंसर का इलाज नहीं होता है. जाइए पटना एम्स.
परिजन पटना एम्स के बाद आइजीआइएमएस गये, लेकिन वहां भी भर्ती नहीं लिया और वहां से महावीर कैंसर संस्थान ले जाने के दौरान एंबुलेंस में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने बताया कि वर्धमान पावापुरी में जब बच्चे को भर्ती कराया, तो पता चला कि ब्लड बैंक में ब्लड ही नहीं है. जैसे-तैसे इमरजेंसी में दोस्तों से कह कर चाचा ने ब्लड का इंतजाम कराया, लेकिन फिर अस्पताल में प्लेटलेट नहीं मिला. बच्चे की हालत देख अस्पताल ने पुर्जे पर पटना एम्स, पीएमसीएच और आइजीआइएमएस लिख रेफर कर दिया.
परिजनों ने बताया जब चंदन को तेज बुखार हुई, तो उसे फीवर की दवा लिख घर भेज दिया. जब बुखार लगातार बढ़ता गया, तो परिजन एक के बाद एक डॉक्टर को दिखाया, लेकिन सभी ने यह कहा कि यह तो वायरल है, ठीक हो जायेगा. आप ये दवा खिलाइए. फिर क्या था, तबीयत खराब हुई, तो अस्पताल पहुंच गये जहां जांच हुई, तो पता चला कि बच्चे को ब्लड कैंसर है.