बिहार के बच्चे गणित के जोड़-घटाव में अन्य राज्यों के बच्चों से आगे हैं. हालांकि फिंगर ट्रिक या मेंटल कैलकुलेशन के बजाय गणित के सवालों को पेपर-पेंसिल से ज्यादा हल करते हैं. यह रिपोर्ट एनसीइआरटी की है. एनसीइआरटी ने यूनिसेफ के सहयोग से फाउंडेशनल लर्निंग स्टडी कराया, जिसमें बिहार सहित अन्य राज्यों के सरकारी व निजी स्कूलों के तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को शामिल किया गया. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, 999 से ऊपर के अंकों का जोड़ बिहार के 72 प्रतिशत बच्चों ने कर दिया, जबकि राष्ट्रीय औसत 53 प्रतिशत है. वहीं, 999 से ऊपर के अंकों का घटाव करने में भी बिहार के 65 प्रतिशत बच्चे सफल रहे. इसमें राष्ट्रीय औसत 40 प्रतिशत है. गणित के जोड़-घटाव में बिहार के 83 प्रतिशत बच्चे पेपर-पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 77 प्रतिशत है. वहीं फिंगर ट्रिक का इस्तेमाल नौ प्रतिशत बच्चे करते हैं, जो राष्ट्रीय औसत 15 प्रतिशत है. मेंटल कैलकुलेशन आठ प्रतिशत बच्चे ही करते हैं.
एनसीइआरटी ने यूनिसेफ के सहयोग से सभी राज्यों में पिछले साल सर्वे कराया. इसमें तीसरी कक्षा के बच्चे शामिल किये गये. बिहार के सभी जिलों से 295 स्कूलों के 2819 बच्चों का सैंपल टेस्ट लिया गया, जिसके आधार पर रिपोर्ट बनी. वहीं देशभर में 10 हजार स्कूलों के 86 हजार बच्चों पर अध्ययन किया गया है.
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रिपोर्ट के अनुसार बिहार के बच्चों को कैलेंडर पर महीना, तारीख व दिन की पहचान करने में मुश्किल होती हैं. 60 प्रतिशत बच्चों ने इसकी पहचान की, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 62 प्रतिशत बच्चे सफल रहे. बिहार के 24 प्रतिशत बच्चों ने सहायता से महीना, तारीख व दिन की पहचान की, जबकि पांच प्रतिशत ने गलत पहचान की. वहीं 10 प्रतिशत ने कोई जवाब नहीं दिया. राष्ट्रीय स्तर की रिपोर्ट के अनुसार 20 प्रतिशत बच्चों ने सहायता के बाद सही पहचान की, जबकि छह प्रतिशत ने गलत पहचान बतायी. 12 प्रतिशत ने कोई जवाब नहीं दिया.
सर्वे के दौरान तीसरी कक्षा के 61 प्रतिशत बच्चों ने सही समय बताया. 28 प्रतिशत ने थोड़ा इशारा मिलने पर सही जवाब दिया, लेकिन 11 प्रतिशत ने कुछ भी नहीं बताया. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर 52 प्रतिशत बच्चे ही सही समय बता सके. 36 प्रतिशत ने सहायता पर सही जवाब दिया, 12 प्रतिशत कोई जवाब नहीं दे सके.
सहभागी- कुल- हिंदी- इंगलिश- उर्दू
स्कूल- 295- 132- 93- 70
शिक्षक- 561- 246-174- 141
छात्र- 2819- 1265- 881- 673
रिपोर्ट: धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर