बिहार में कांग्रेस को चाहिए ‘सम्मानित’ हिस्सा, जीत पक्की करने वाली सीटों को चिन्हित करने आएगी कमिटी
इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को बिहार की 40 सीटों में अपना सम्मानित हिस्सा चाहिए. वो कम सीटों पर समझौता करने को तैयार नहीं है. जीत पक्की करने वाली सीटों को चुनने दिल्ली से स्क्रीनिंग कमेटी अब बिहार आएगी. जानिए क्या है अंदर हलचल..
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी दलें एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में अब सीट शेयरिंग की कवायद तेज है. बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर राजद-जदयू-कांग्रेस और वामदलों की दावेदारी होगी. बिहार में जदयू और राजद सीटों के बंटवारे में बड़े भाई की भूमिका निभा सकती है. लेकिन कांग्रेस को भी अधिक समझौता मंजूर नहीं होगा. ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने बिहार में सम्मानित सीट लेने की बात कही है. वहीं कांग्रेस अब बिहार की उन सीटों को चिन्हित करेगी जहां उसके लिए जीत की गुंजाइश अधिक होगी.
बिहार में लोकसभा की सीटें चिन्हित करेगी कांग्रेस
बिहार में लोकसभा की संभावित सीटों को चिह्नित करने का काम अगले सप्ताह शुरू हो जायेगा. प्रदेश कांग्रेस की ओर से आलाकमान को लोकसभा सीटों की दावेदारी को लेकर रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है. सीटों के बंटवारे के पहले एआइसीसी ने लोकसभा सीटों व प्रत्याशियों को चिह्नित करने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी गठित है. कमेटी पहले कांग्रेस की संभावित लोकसभा क्षेत्रों की स्क्रीनिंग कर रिपोर्ट आलाकमान को सौंपेगी. यह काम 14 जनवरी के पहले पूरा कर लिया जायेगा.
कांग्रेस की जीत वाली संभावित सीटों को चिह्नित करेगी कमेटी
लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राज्यों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर दिया है. स्क्रीनिंग कमेटी का गठन क्लस्टर वाइज किया गया है. बिहार सहित 11 राज्यों का एक क्लस्टर बनाया गया है. इसका चेयरमैन पंजाब विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राणा केपी सिंह को बनाया गया है. उनके साथ जयवर्धन सिंह और इवान डीसूजा को सदस्य बनाया गया है. जानकारों का कहना है कि स्क्रीनिंग कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी गयी है कि पहले चरण में वह राज्यों में जाकर कांग्रेस की जीत वाली संभावित सीटों को चिह्नित करे. इसके लिए स्क्रीनिंग कमेटी बिहार में पार्टी संगठन और नेताओं के अलावा उन सीटों को लेकर जमीनी सच्चाई जानने के लिए बिहार दौरे पर आयेगी.
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कांग्रेस की 11 सीटों पर दावेदारी
प्रदेश अध्यक्ष की ओर से लोकसभा के लिए 11 सीटों की दावेदारी की जा रही है. इस पर स्क्रीनिंग कमेटी को ही तय करना है कि कौन सीट उसके लिए जीत पक्की करनेवाली होगी. यह प्रारंभिक चरण है. इसके आधार पर ही इंडिया गठबंधन में कांग्रेस अपनी सीटों पर दावा पेश करेगी. पिछली बार महागठबंधन के तहत कांग्रेस के हिस्से में नौ सीटें मिली थीं, जिनमें सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल हुई थी.
सीटों के बंटवारे के बाद होगा प्रत्याशियों का चयन
स्क्रीनिंग कमेटी पिछले लोकसभा चुनाव के अनुभवों के आधार पर भी अपना सुझाव आलाकमान को देगी. सीटों के बंटवारे के बाद स्क्रीनिंग कमेटी का काम कांग्रेस के प्रत्याशियों के चयन का होगा. फिलहाल पार्टी ने संभावित सीटों पर संभावित प्रत्याशियों को मतदाताओं से मिलने-जुलने व संपर्क बढ़ाने का निर्देश दिया है.
कांग्रेस को चाहिए सम्मानित हिस्सा
इधर, कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि बिहार में लोकसभा की सीटों पर ‘सम्मानित’ हिस्सा नहीं मिलने की स्थिति में न केवल पार्टी , बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित पूरे ‘महागठबंधन’ पर असर पड़ेगा. बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने यह बयान उस सवाल के जवाब में दिया जब उनसे यह पूछा गया कि कांग्रेस को राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से मात्र चार सीट की पेशकश की जाने वाली है.अखिलेश सिंह ने कहा कि यदि कांग्रेस केवल चार सीट पर लड़ती है तो इसका पूरे गठबंधन पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमें नौ सीटें दी जायें क्योंकि 2019 में हम उतने पर लड़े थे
कांग्रेस को करना होगा समझौता, बोली जदयू
बता दें कि इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर जो देरी हो रही है उसपर जदयू अब नाराज है. पार्टी की ओर से शनिवार को कई नेताओं ने बयान दिए. मंत्री विजय चौधरी व संजय झा ने भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी और अगली बैठक में राज्यवार सीटों के बंटवारे पर फैसला करने की सलाह कांग्रेस को दी. वहीं अशोक चौधरी ने कहा कि भाजपा के हारने से सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को होना है तो उसे ही सबसे अधिक सेकरिफाइस करना होगा.