भोजपुरी मगही के मुद्दे पर झारखंड सरकार से बिहार कांग्रेस का आग्रह, क्षेत्रीय भाषा सूची पर हो पुनर्विचार
गैर जरूरी मुद्दों को बार-बार उठाने से कोई फायदा नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार में विपक्ष का एक मुद्दे पर एकजुट होना जरूरी है.
पटना. कांग्रेस ने भी जदयू की राह पर चलते हुए झारखंड के भाषा विवाद पर बड़ा बयान दिया है. कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने झारखंड में भोजपुरी और मगही भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची से बाहर करने पर बिहार कांग्रेस का पक्ष रखा है.
पटना में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेसी एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि झारखंड सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कांग्रेस पार्टी यह आग्रह कर रही है. बिहार-झारखंड का पुराना रिश्ता है और बोलचाल की भाषा उन लोगों की मगही और भोजपुरी है.
पत्रकारों ने जब श्री मित्र से पूछा कि जदयू का यह कहना कि कांग्रेस सत्ता में है दबाव बनाएं, तो उन्होंने कहा कि किस तरह से दबाव बनाया जाता है, वह जदयू बताएं. क्योंकि केंद्रीय सत्ता में जदयू भी भाजपा के साथ है. बिहार को विशेष राज्य के दर्जा दिलाने के लिए जदयू ने भाजपा पर किस तरह से दबाव बनाया है, वह पहले बताएं. सिर्फ बयान देकर अपना पल्ला झाड़ने से काम ना नहीं चलेगा.
श्री मिश्र ने कहा कि बिहार में विशेष राज्य के दर्जे का मुद्दा जदयू छोड़ना नहीं चाह रही, तो भाजपा इसे बार-बार नकार रही है. इस मसले पर कांग्रेस की राय पूछने पर श्री मिश्र ने कहा कि जातीय जनगणना और स्पेशल स्टेटस के मुद्दे हमारे लिए कोई जरूरी मुद्दा नहीं है. कई और बड़े मसले हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में कुछ राजनीतिक दल गैर जरूरी मुद्दों पर ही बात करते हैं.
उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना और स्पेशल स्टेटस की बात कई बार केंद्र सरकार ने ठुकरा दी है. अब इन विषयों पर सिर्फ राजनीति होती है. बिहार में इन विषयों से ज्यादा जरूरी स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर करने की जरूरत है. गैर जरूरी मुद्दों को बार-बार उठाने से कोई फायदा नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार में विपक्ष का एक मुद्दे पर एकजुट होना जरूरी है.