Bihar: आपको पता भी नहीं चला और कोरोना ने छीन ली बच्चों की आंख, जरूर जानें क्या है नया रिसर्च

Bihar: कोरोना काल में मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों की आंखों पर खासा असर पड़ा है. कुछ बच्चों की आंखें, तो इतनी कमजोर हो गयी हैं कि थोड़ी दूर से भी शब्दों को पहचान नहीं पा रहे हैं. कई को मायोपिया नामक बीमारी हो गयी है. कोविड के बाद यह बीमारी तीन गुना बढ़ गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2023 12:49 AM
an image

Bihar: कोरोना काल में मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों की आंखों पर खासा असर पड़ा है. कुछ बच्चों की आंखें, तो इतनी कमजोर हो गयी हैं कि थोड़ी दूर से भी शब्दों को पहचान नहीं पा रहे हैं. कुछ बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें करीब का दृष्टिदोष हो गया है. कई को मायोपिया नामक बीमारी हो गयी है. कोविड के बाद यह बीमारी तीन गुना बढ़ गयी है. यह कहना है दिल्ली से आये ऑल इंडिया आप्थेल्मोलाॅजिकल सोसाइटी (एआइओएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ ललित वर्मा का.

सेमिनार में हिस्सा ले रहे हैं 1200 डॉक्टर

शुक्रवार को ऑल इंडिया व बिहार ऑप्थेल्मोलॉजिकल सोसाइटी की ओर से इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस के पहले दिन डॉ ललित वर्मा, आइजीआइएमएस के पूर्व निदेशक व नेत्ररोग विभाग के अध्यक्ष डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा, डॉ सुनील सिंह, डॉ प्रणव रंजन, डॉ निलेश मोहन आदि डॉक्टरों ने संयुक्त रूप से कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया. आइजीआइएमएस के डॉ विद्याभूषण ने कहा कि तीन दिवसीय इस सेमिनार में देश-विदेश से करीब 1200 से अधिक नेत्र रोग डॉक्टरों ने भाग लिया है.

अंधेपन का मुख्य कारण है मायोपिया

दिल्ली एम्स से आयीं व एआइओएस की डॉ नम्रता शर्मा ने कहा कि मायोपिया आंखों की बीमारी है. इससे विश्व की 20 फीसदी आबादी प्रभावित है, जिनमें लगभग 45 फीसदी वयस्क और 25 फीसदी बच्चे शामिल हैं. इस बीमारी पर ध्यान न देना या इलाज न कराना ही अंधेपन का सबसे मुख्य कारण बनता है. इसकी वजह से मोतियाबिंद, मैक्युलर डिजेनरेशन, रेटिनल डिटैचमेंट या ग्लूकोमा जैसी बीमारियां हो जाती हैं. रांची से आयीं कश्यप मेमोरियल आइ अस्पताल की निदेशक डॉ भारती कश्यप ने कहा कि अधिक देर तक मोबाइल का इस्तेमाल बच्चों की आंखों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है. इसलिए बच्चों की आंखों में परेशानी दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

मोतियाबिंद पकने का नहीं करें इतजार, तुरंत कराएं ऑपरेशन

आइजीआइएमएस के पूर्व निदेशक व नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि पटना सहित पूरे बिहार में मोतियाबिंद के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. अगर आपको मोतियाबिंद की बीमारी है, तो इसके पकने का इंतजार नहीं करें. तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर सर्जरी करा लें. नहीं तो काला मोतियाबिंद के कारण आंखों की रोशनी जा सकती है. पहले जहां हर माह 10 फीसदी मरीज आते थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 20 से 25 फीसदी हो गयी है.

20-20 का फॉर्मूला अपनाना चाहिए

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील सिंह ने कहा कि मायोपिया से बचने के लिए 20-20 का फॉर्मूला अपनाना चाहिए. इसके लिए 20 मिनट लगातार डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने के बाद 20 सेंकेंड के लिए ब्रेक लेना चाहिए. इस ब्रेक में 20 फीट की दूरी की तरफ देखकर 20 बार आंखों को झपकाएं.

पांच तरह का होता है काला मोतिया

सोसाइटी की संयुक्त सचिव व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ रंजना कुमार ने बताया कि काला मोतियाबिंद पांच तरह का होता है. हर माह 25 से 30 मरीज काला मोतियाबिंद के इलाज के लिए आ रहे हैं. इनमें पांच फीसदी मरीजों की आंखों की रोशनी भी चली जा रही है.

Exit mobile version