विज्ञान ने भले ही तरक्की कर ली हो लेकिन बिहार में कई मौकों पर आज भी अंधविश्वास विज्ञान और आस्था पर भारी पड़ता नजर आता है. ताजा माहौल में कोरोना महामारी से हाहाकर मचा हुआ है लेकिन कई लोगों को ऐसा लगता है कि कोरोना को दवाई और टीका से नहीं बल्कि किसी खेल से हराया जा सकता है. बीते साल कोरोना माई की पूजा करने की खबरे आईं थी तो इस बार बिहार के पूर्वी चंपारण के बगहा में अजीब ही नजारा दिखा.
कोरोना संकट के कारण राज्य के तमाम धार्मिक स्थल बंद हैं और सार्वजनिक आयोजन पर रोक है. बावजूद इसके बगहा के गोबरहिया स्थान पर चैत नवरात्र पर भीड़ उमड़ी. ये भीड़ कथित तौर पर इसलिए यहां उमड़ती है क्योंकि यहा आने से भूत भगायाा जाता है. चैत नवरात्र के मौके पर यहां बड़ी संख्या में तरह-तरह के तांत्रिक जुटते हैं जो वहां पहुंचे महिलाओं और पुरुषों के शरीर से मंत्र और तरह तरह के खेल के द्वारा भूत बाहर निकालते हैं.
कई जगह महिलाएं, युवतियां बाल खोल झूमती नजर आती हैं, जमीन पर लोटती नजर आती हैं, कीचड़ में उमड़ती घुमड़ती हैं, तांत्रिक डंडे से भूत उतारता है, तरह-तरह के मंत्र जाप किए जाते है, हवन होता है. ऐसा नजारा देख इस स्थान पर एक बार कोई भी डर जाएगा. तरह-तरह की इनकी आवाजे आम लोगों के दिलों में डर और भय पैदा करने के लिए काफी है. इस बार तो कई लोगों के शरीर में कोरोना नामक भूत घुसा था जिसे तांत्रिक ने मंत्र, डंडा और आग के डर से बाहर निकाला.
बीते नवरात्र के सप्तमी के दिन यहां काफी ज्यादा भीड़ उमड़ी थी. लेकिन पुलिस औऱ प्रशासन कहीं नजर नहीं आया. इस बार कोरोना संकट था लेकिन फिर भी यहां भीड़ उमड़ी और कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ी.वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के अंतर्गत इस तांत्रिक स्थान पर आने की मनाही थी लेकिन लोग आदेश और कोरोना दोनों से बेपरवाह दिखे. बता दें कि चैत्र नवरात्र में हर साल यंहा काफी भीड़ होती है. यंहा पूजा के नाम पर झाड़-फूंक, भूत भगाने का पूजा पाठ चलता है. यहां बिहार से सटे नेपाल और यूपी के गांवों से लोग भूत उतरवाने आते हैं.
Posted By: utpal Kant