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बिहार में प्राइवेट अस्पतालों की मची लूट! RTPCR से लेकर एंटीजन टेस्ट के नाम पर मरीजों से वसूली जाती है मोटी रकम

bihar news in hindi: कोरोना महामारी प्रलयंकारी रूप अख्तियार कर रहा है. इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में दहशत व्याप्त है. अब तो ग्रामीण क्षेत्र के लोग बीमार पड़ने पर इलाज कराने में भी असमर्थता जता रहे हैं. कोरोना के डर से ग्रामीण चिकित्सक भी मरीजों का इलाज करने से डर रहे हैं. वहीं बेगूसराय के बड़े अस्पताल में लोगों का इलाज कराना काफी मुश्किल हो रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2021 7:14 PM

कोरोना महामारी प्रलयंकारी रूप अख्तियार कर रहा है. इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में दहशत व्याप्त है. अब तो ग्रामीण क्षेत्र के लोग बीमार पड़ने पर इलाज कराने में भी असमर्थता जता रहे हैं. कोरोना के डर से ग्रामीण चिकित्सक भी मरीजों का इलाज करने से डर रहे हैं. वहीं बेगूसराय के बड़े अस्पताल में लोगों का इलाज कराना काफी मुश्किल हो रहा है.

सर्वप्रथम इमरजेंसी मरीज को लेकर जब बेगूसराय के बड़े प्राइवेट अस्पताल पहुंचते हैं तो बेड खाली नहीं होने का बहाना बनाया जाता है. अगर काफी मशक्कत के बाद अस्पताल प्रबंधन मरीज को एडमिट कर लेता है तो एक-दो दिनों के इलाज में ही लाखों रुपये का बिल दे दिया जाता है . ऐसे में गरीब लाचार लोग अपने हाल पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ने को मजबूर दिखायी दे रहे हैं.

सुजानपुर निवासी 56 वर्षीय सुनील साह की मौत सोमवार को कोरोना संक्रमण से हो गयी थी. मृतक का पुत्र विकास कुमार ने बताया कि बेगूसराय के एक निजी अस्पताल में एंटीजन जांच का फीस 1500 सौ जबकि आरटीपीसीआर से जांच का फीस 2500 रुपया वसूला गया. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन पर धांधली का भी आरोप लगाया है. बताया गया कि सरकार प्राइवेट अस्पतालों पर कमान नहीं रख पा रही है .

कहते हैं लोग

मेरे पिताजी सुनील साहू को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. जिनका इलाज मंझौल के निजी चिकित्सक के यहां करवाया जिसने बेगूसराय के बड़े अस्पताल में भर्ती करवाने को कहा. महज 36 घंटे में एक लाख 15 हजार का बिल दिया गया. कर्ज लेकर किसी तरफ रुपये जमा कर दिये. फिर रुपये नहीं होने के कारण अपने पिता को घर पर ही ऑक्सीजन लगाकर रखे थे. सोमवार को उनकी मौत हो गयी.

विकास कुमार

ग्रामीण,सुजानपुर

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मेरे भाई को सर्दी बुखार था. जिसके बाद खुद से गाड़ी चलाकर बेगूसराय के एक बड़े अस्पताल इलाज के लिए गये थे वहां रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आया. उन्हें दो दिन के लिए भर्ती कराया गया. लेकिन भर्ती होने के बाद स्थिति बिगड़ती गयी और 12वें दिन उनकी मौत हो गयी. इस दौरान 1 लाख 64 हजार फीस एवं 1 लाख 50 हजार का दवा दिया गया. फिर भी वो नहीं बच सके.

सुशील कुमार

ग्रामीण,धरमपुर

वर्तमान परिस्थिति राजनीति करने की नहीं है. लेकिन विडंबना है कि बिहार सरकार कोरोना महामारी में हाथ खड़ा कर दी है. सरकारी अस्पतालों में सिर्फ कोरोना जांच की जाती है. यहां इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के नाम पर लुटा जा रहा है. जिला प्रशासन को ऐसे अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है .

सूर्यकांत पासवान

विधायक,बखरी विधानसभा

कोरोना के नाम पर गरीब निस्सहाय लोगों से बड़े अस्पताल प्रबंधन मोटी राशि वसूलने का गोरखधंधा अपना लिया है. बिहार सरकार के सरकारी अस्पतालों में इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं प्राइवेट अस्पताल बेलगाम हो चुकी है. इस पर सरकार का नियंत्रण नहीं रह गया है जिसके कारण गरीब लोग बिना इलाज मरने को विवश हैं.

डाॅ उर्मिला ठाकुर (प्रदेश अध्यक्ष)

आरजेडी महिला प्रकोष्ठ

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