पटना हाइकोर्ट ने कहा है कि बिहार में कोरोना का कहर इसी तरह चलता रहा, तो वह इस मामले में सेना की मदद लेने का निर्देश दे सकता है. कोर्ट ने इसके लिए 48 घंटे का समय यह बताते को दिया है कि इस दौरान मौजूदा संकट पर पार पाने की क्या योजना है? कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज, पुणे के डॉक्टरों की टीम से मदद लेने का भी जिक्र किया.
जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह व जस्टिस मोहित कुमार शाह के खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उक्त बातें कहीं. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के लॉकडाउन की घोषणा की जानकारी मिलने पर भी हाइकोर्ट नहीं रुका और राज्य सरकार के रवैये पर रोष जाहिर किया.
खंडपीठ के इस कथन पर महाधिवक्ता ललित किशोर ने आपत्ति जतायी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार इस महामारी से युद्ध स्तर पर निबट रही है. हर दिन और हर हफ्ते सरकार कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन व बेड बढ़ाने में लगी है.
उन्होंने महाराष्ट्र और केरल में कोरोना संक्रमण और उससे हुई मौतों की तुलना बिहार से किया और कहा कि उन दोनों राज्य में अधिक संसाधन होते हुए भी बिहार से ज्यादा मौतें हुई हैं . इस पर खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नागरिकों की मौत की कोई तुलना नहीं हो सकती.
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Posted By: Utpal kant