Bihar: कटिहार में क्यों नहीं थमता गैंगवार? दियारा इलाके में कब और क्यों बढ़ती है टेंशन, जानिये इतिहास..
Katihar Gangwar: कटिहार में गैंगवार के बाद दियारा इलाका एकबार फिर दहशत में है. शुक्रवार को मोहनाचांदपुर दियारे में दो गुटों में झड़प हुई और सैकड़ों राउंड गोलीबारी की गयी. अपराधियों के बीच अक्सर ये गोलीबारी क्यों होती है. जानिये...
Bihar Crime News: कटिहार जिले के दियारा क्षेत्रों में गैंगवार (Katihar Gangwar) व खूनी झड़प पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती बन गयी है. वर्चस्व की लड़ाई को लेकर दो गुटों में तथा स्थानीय दर्जनों किसानों की अबतक हत्या का गवाह कटिहार बना है. शुक्रवार को मोहन ठाकुर गिरोह एवं सुनील यादव गिरोह में भी गैंगवार हुआ. दोनों ओर से सैकड़ों राउंड गोलियां चली, जिसमें पांच लोगों के मारे जाने की आशंका ग्रामीण जता रहे हैं.
दियारा के कुख्यात की मौत
हालाकि अधिकारिक तौर पर पुलिस कप्तान जितेंद्र कुमार ने एक व्यक्ति की ही मौत की पुष्टि की है. मृतक की पहचान रंगरा ओपी निवासी अरविंद कुमार के रूप में किया गया है. एसपी ने बताया कि मृतक दियारा का कुख्यात था. उसके विरूद्ध तकरीबन जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में तकरीबन एक दर्जन हत्या, लूट, आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज है. बीते कई वर्षो से वह थाना कांड में फरार चल रहा था.
गोलियों की तड़तड़ाहट से दहलता है दियारा व आसपास का इलाका
कटिहार जिला का दियारा क्षेत्र तकरीबन 110 किलोमीटर से भी अधिक है. जिले का सीमावर्ती क्षेत्र भागलपुर, साहेबगंज तथा पश्चिम बंगाल से जुड़ती है. जिले की बात करें तो जिले के कुरसेला, बरारी, सेमापुर, मनसाही, मनिहारी, अमदाबाद थाना में विस्तृत रूप से फैला हुआ है. दियारा क्षेत्रों में वर्चस्व को लेकर अक्सर गैंगवार व गोली बारी होती रहती है. दियारा में गोलियों की तड़तड़ाहट प्रखंड अनुमंडल तक गुंजती है. घटना के पश्चात जब तक पुलिस घटना स्थल तक पहुंचती है तब तक सब कुछ शांत हो जाता है.
Also Read: बिहार के कटिहार में गैंगवार: शवों का नहीं चलता अता- पता, दियारा में गोलियों की तड़तड़ाहट का जानें इतिहास
अधिकांश घटनायें पानी के उतरते व कलाई के कटने के समय हो रही
स्थानीय लोगों की माने तो दियारा में अधिकांश घटनायें पानी के उतरन के साथ होती है. बारिश के मौसम में जब गंगा व कोसी में उफान रहती है तो सभी दियारा क्षेत्र को छोड़कर उंचे स्थल पर शरण लेते है. खेतो की भी कुछ स्थिति ऐसी ही होती है. पानी के उतरते ही पुन उन जमीन पर काबिज को लेकर वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो जाती है. अलग-अलग गुट गंगा के तटीय क्षेत्र की जमीन पर काबिज को लेकर गोलीबारी करते है.
फसलों को लूटने की होड़
वर्चस्व की लड़ाई में इन लोगो की बीच कई राउंड तक गोलीबारी होते रहती है. जिनमें दोनों गुट की ओर से कई लोगों की मौत भी हो जाती है. दूसरा जब कलाई फसल की कटनी होती है तब दियारा फिर अशांत हो जाता है, उन फसलों को लूटने की कवायद को लेकर पुन: गैंगवार व गोलीबारी शुरू होे जाती है. दियारा में वर्चस्व की लड़ाई में कई किसान भी इनके बलि वेदी पर चढ़ जाते है.