Bihar News सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी पटना की एक लोकल अदालत को निर्देश दिया है कि वह वर्ष 2017 में बिहार के बिहटा में ट्रेड यूनियन के प्रेसिडेंट की हत्या मामले की सुनवाई 3 महीने में पूरी करे. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने इससे पहले हत्या के आरोपी को पटना हाई कोर्ट से मिली जमानत भी रद्द कर दी थी.
पीठ ने मामले में सुनवाई की धीमी रफ्तार को लेकर नाराजगी जाहिर की है. देश के शीर्ष अदालत ने मृतक कारोबारी के भाई अजय कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता समरहार सिंह द्वारा दी गई अर्जी पर संज्ञान लिया है. जिसमें कहा गया है कि सभी गवाहों की गवाही दर्ज हो गई है और आरोपी के पास मामले में पेश करने के लिए और कोई गवाह नहीं बचा है.
सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को दिए आदेश में कहा कि हमें याचिकाकर्ता के वकील ने सूचित किया है कि वर्ष 2019 से पहले ही अभियोजन की ओर से गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. हालांकि, बचाव पक्ष की ओर से गवाहों को पेश करने के लिए समय मांगा गया था और अंतत: आरोपी ने अदालत को बताया कि उसके पास कोई गवाह नहीं है. सभी गवाहों के सबूत पहले ही दर्ज हो चुके हैं. हम सुनवाई अदालत को निर्देश देते हैं कि आज से तीन महीने में सुनवाई पूरी करे.
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 4 अप्रैल को सुनवाई करेगा. इससे पहले अगस्त 2020 में शीर्ष अदालत ने पटना हाई कोर्ट द्वारा एक आरोपी अमित कुमार को दी गई जमानत रद्द कर दी थी. बिहटा व्यापार संघ के अध्यक्ष और उदय चित्र मंदिर सिनेमा हॉल के मालिक निर्भय सिंह की कथित तौर तीन लोगों ने 15 सितंबर 2017 को गोली मारकर हत्या कर दी थी. आरोपियों में अमित कुमार भी शामिल था जिसपर स्थानीय बाजार में वसूली गिरोह चलाने का आरोप है.
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