जमुई के लक्ष्मीपुर प्रखंड के गौरा पंचायत में पंचायत न्याय सचिव (महिला) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वे सरकारी काम के एवज में नजराना मांगती हुई नजर आ रहीं है. वीडियो में न्याय मित्र महज एक दस्तखत करने के लिए घर आए एक आवेदक से दो सौ रुपये की मांग कर रही है. वायरल वीडियो ने न्याय मित्र के साथ-साथ पूरे सिस्टम की पोल दी है.
वायरल वीडियो में न्याय सचिव कह रहीं है कि सांसद व विधायक की तुलना में आईएएस का वेतन कम होता है. लेकिन उनकी कमाई का अंदाजा किसी आम आदमी के लगा पाना बेहद कठीन है. न्याय सचिव का यह वीडियो इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. वीडियो वायरल होने पर लोग सोशल मीडियो पर न्याय व शासन व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कमेंट्स कर रहे हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने वीडियो में दिख रहीं न्याय सचिव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.
क्राइम, करप्शन व कम्युनलिज्म से किसी भी सूरत में समझौता नहीं करने का ऐलान करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिहार में भ्रष्टाचार पर लगाम लगती नहीं दिख रही है. एक मामले की चर्चा थमती नहीं है कि दूसरा भ्रष्टाचारी सामने आ जाता है. इंडियन करप्शन सर्वे-2019 की रिपोर्ट में बिहार का स्थान दूसरा था. यहां 75 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया था कि उन्हें अपना काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ी थी. इनमें भी 50 फीसद लोगों ने तो यहां तक कहा कि उन्हें काम करवाने के एवज में अधिकारियों को कई बार रिश्वत देनी पड़ी. बिहार में सरकारी अफसरों के घरों पर छापों में बेहिसाब धन-दौलत निकल रही है. लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार सरेआम हो चुका है और सीएम तक का डर नहीं है.