Bihar में डेंगू की स्थिति अब डराने वाली होती जा रही है. राज्य में पांच हजार लोग डेंगू के शिकार हो गए हैं. वहीं राजधानी पटना की स्तिथि सबसे ज्यादा भयावह है. यहां सबसे ज्यादा 4100 डेंगू के एक्टिव मरीज हैं. बिहार में डेंगू के डंक से संक्रमित मरीजों में सबसे ज्यादा टाइप टू और थ्री के मरीज हैं. मगर अब कोरोना संक्रमण की तरह डेंगू के ट्रेड में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. डॉक्टर बता रहे हैं कि मरीज का डेंगू टेस्ट निगेटिव हैं, मगर मरीज का प्लेटलेट गिरता जा रहा है. डेंगू के नए ट्रेंड को देखकर डॉक्टर और मरीज दोनों हैरान हैं.
पटना एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के रिसर्चर डॉ रजनीश कुमार ने बताया कि डेंगू वायरस एडीज मच्छरों द्वारा संचरित होता है. वायरस की प्रकृति होती है अपने संरचना में बदलाव करना. ऐसे में डॉक्टर देख रहे हैं कि डेंगू के वायरस में क्या बदलाव आया है. प्लेटलेट्स कम के बावजूद निगेटिव होने वाले मरीजों का दोबारा डेंगू टेस्ट करवाने के साथ ही उन्हें लक्षणों के आधार पर इलाज दिया जा रहा है. ऐसे लक्षण वाले मरीजों का डॉक्टर लक्षणों के आधार पर ट्रीटमेंट कर रहे हैं. पहले से बीमार चल रहे खासकर नॉन रिएक्टिव सिंड्रोम के मरीजों का रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, इससे डॉक्टरों की चिंता बढ़ गयी है.
सिविल सर्जन डॉ केके राय ने बताया कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी डेंगू के मामले अपने आप कम होते जाएंगे. क्योंकि ठंड में मच्छरों की संख्या कम होगी. हालांकि चिंता की बात है कि अभी 10 से 15 प्रतिशत मरीज ऐसे पाये जा रहे हैं जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है लेकिन उनके प्लेटलेट कम हो रहे हैं. कुछ ऐसे भी मरीज मिले हैं जिनका प्लेटलेट्स 30 हजार तक कम हुई, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आयी. लिहाजा एक बार रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद दूसरे या तीसरे दिन दोबारा जांच करानी चाहिए. बुखार आने के बाद प्लेटलेट्स काउंट तेजी से गिरता है. ऐसे में प्लेटलेट्स की निगरानी करते रहें.
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अरविंद चौरसिया ने बताया कि वायरल फीवर के मरीजों के ठीक होने के बाद भी दर्द की शिकायत सामने आती है. ऐसे में खासकर बच्चे या परिजनों को घबराने की जरूरत नहीं है. धीरे-धीरे कमजोरी दूर होने के साथ ही दर्द भी चला जायेगा. डेंगू से ठीक होने के बाद खान-पान पर विशेष ध्यान दें, पौष्टिक आहार लेना नहीं भूलें.