पटना. बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बिहार सरकार से ये पूछा है कि आख़िरकार क्यों नहीं डीजीपी की नियुक्ति करने को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना माना जाये.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की नियुक्ति को लेकर एक याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर बिहार में डीजीपी की नियुक्ति कर दी है. कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता जय साल्वा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार राज्यों के डीजीपी की नियुक्ति में अपने आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा है, लेकिन बिहार में कोर्ट के आदेश को ताक पर रख कर डीजीपी की नियुक्ति कर दी गयी.
मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा कि हाईकोर्ट में इस मामले को क्यों नहीं ले ज़ाया गया. याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि हाईकोर्ट में दो मामले लंबित हैं और उस पर सुनवाई नहीं हो रही है. याचिकाकर्ता के वकील जय साल्वा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी चाहिये. ऐसे ही मामले में कोर्ट झारखंड सरकार को अवमानना का नोटिस जारी कर चुकी है. इसके बाद कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दे रखा है कि वह किसी भी पुलिस अधिकारी को कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर नियुक्त नहीं करे. राज्य सरकार डीजीपी या पुलिस कमिश्नर के पद पर नियुक्ति के लिए जिन पुलिस अधिकारियों के नाम पर विचार कर रही होगी, उनके नाम यूपीएससी को भेजे जाएंगे. यूपीएससी उसे शॉर्टलिस्ट कर तीन सबसे उपयुक्त अधिकारियों की सूची राज्य को भेजेगा. उन्हीं तीन में से किसी एक को राज्य सरकार पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकेगी.
कोर्ट ने ये भी कहा था कि मौजूदा पुलिस प्रमुख के रिटायरमेंट से तीन महीने पहले यह सिफारिश यूपीएससी को भेजी जाये. सरकार को ये कोशिश करनी चाहिए कि कि डीजीपी बनने वाले अधिकारी का पर्याप्त सेवाकाल बचा हो. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ये कहा गया है कि बिहार सरकार ने कोर्ट के इस आदेश को ताक पर रख कर डीजीपी के पद पर एसके सिंघल की नियुक्ति कर दी है.