पटना. राज्य के सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक एक दिन के ओपीडी बहिष्कार के बाद शुक्रवार को काम पर लौट आये हैं. हालांकि चिकित्सकों में मांगें पूरी नहीं होने पर आक्रोश है. उनकी मांग है कि चिकित्सकों के काम के घंटे निर्धारित किये जायें. उनकी सुरक्षा और आवास की व्यवस्था की जाये. सरकार अगर उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं करती है तो फिर नौ अक्तूबर को संघ की प्रस्तावित कार्यसमिति की बैठक में आगे की रणनीति पर विचार करेगा.
भासा महासचिव डा. रणजीत कुमार ने बताया कि संघ की कोशिश है कि सरकारी चिकित्सकों की मांगों का समाधान निकालने के लिए स्वास्थ्य मंत्री व सरकार से बातचीत हो. उन्होंने बताया कि चिकित्सकों और अन्य मानव बल की कमी के कारण अस्पतालों पर मरीजों का दबाव अधिक है. अस्पतालों में दो-तीन चिकित्सक ओपीडी, इमरजेंसी सहित रात्रिकालीन ड्यूटी भी कर रहे हैं.
भासा महासचिव ने बताया कि सबसे खराब स्थिति उनके आवास और सुरक्षा को लेकर है. महिला चिकित्सकों को तो ग्रामीण क्षेत्रों में ड्यूटी करने में सुरक्षा को लेकर और समस्या है. इसके अलावा कनीय अधिकारियों द्वारा बायोमेट्रिक से उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए चिकित्सकों को अपमानित किया जाता है. इसका रास्ता सरकार को निकालना होगा. इससे मरीजों का अहित न हो और चिकित्सक भी अपनी ड्यूटी निभा सकें.
बता दें कि बिहार स्वास्थ्य संघ के द्वारा गुरुवार को हड़ताल का आवाह्न किया था. हड़ताल के कारण राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बंद रहे. संघ के द्वारा बताया गया है कि डॉक्टर बायोमेट्रिक अटेंडेंस और 11 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर जा रहे हैं. गुरुवार को राज्य के सभी सरकारी अस्पताल में मरीजों को इलाज के लिए ओपीडी में परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टर मरीजों का इलाज किया. चिकित्सकों के हड़ताल से राज्य के स्वास्थ्य सेवा पर भी असर पड़ा. संघ के द्वारा कहा गया था कि बीते दिनों हड़ताल के बाद सरकार के द्वारा आश्वासन दिया था कि सभी मामलों सुनवाई होगी. अभी तक सरकार के द्वारा कोई फैसला नहीं लिया गया है.