Bihar Durga Puja नवरात्र में महानवमी को हवन करने का विधान है. आदि ग्रंथों में ऐसा बताया गया है कि हवन में दिए गए हविष्य को अग्नि देव जिस देवता के नाम से हवन किया जाता है उन तक उनका अंश पहुंचा देते हैं. ऐसे में पटना की नगररक्षिका पटनदेवी को प्रसन्न करने के लिए मंदिर में हवन का आयोजन किया जाता है. यहां मंदिर परिसर में योनिकुंड है. ऐसी मान्यता है कि इस हवन कुंड से डाली गयी सभी सामग्री पाताल चली जाती है. कुंड से आज तक कभी विभूति नहीं निकाली गयी है. महानवमी को यहां बड़ी संख्या में भक्त हवन के लिए आते हैं.
नवरात्र में नौ दिनों के व्रत के बाद नवमी को हवन करने का बड़ा महत्व है. हवन करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है. मां के कई ऐसे भक्त हैं जो व्रत रखने के बाद नवमी को सीधे पटनदेवी में हवन के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पटनदेवी के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. पटनदेवी में वैष्णव और तांत्रिक दोनों विधि से मां की पूजा होती है. दोनों पद्दतियों संगम नवरात्र में देखने को मिलता है. यहां हवन में काले तील, अरवा चावल, मधु, जटामसी, धुअन, गुगुल आदि का प्रयोग किया जाता है. हालांकि हवन से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना काफी जरूरी है. बिना इन बातों का ध्यान रखे हवन करने से पूरे फल की प्राप्ति नहीं होती है.
मां को प्रसन्न करने से हवन करने से सबसे पहले उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहने. इसके बाद दैनिक पूजा कर लें. मां के किसी मंत्र का जप करें. जप के लिए लाल चंदन के माला का इस्तेमाल करें. हवन के बीच में किसी हाल में बोलना नहीं चाहिए. जिस हवन कुंड में हवन किया जा रहा हो उसका पंचभूत संस्कार जरूर करना चाहिए. हवन कुंड पर गाय का गोबर या मिट्टी से लेप करना चाहिए. मां को प्रसन्न करने के लिए सप्तशती के मंत्रों से हवन करना चाहिए.