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Bihar Durga Puja: बिहटा में स्थापित है मां विंध्यावासिनी के पिंड का अंश, नवरात्र में होती है अद्भुत पूजा

Bihar Durga Puja: पटना से 30 किमी दूर बिहटा के राघोपुर एवं कंचनपुर के बॉडर पर स्थित ऐतिहासिक मां वनदेवी मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. भक्तों में ये मान्यता है कि इस मंदिर में आकर सच्चे मन से मां से मांगने वाले हर भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है.

Bihar Durga Puja: पटना से 30 किमी दूर बिहटा के राघोपुर एवं कंचनपुर के बॉडर पर स्थित ऐतिहासिक मां वनदेवी मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. भक्तों में ये मान्यता है कि इस मंदिर में आकर सच्चे मन से मां से मांगने वाले हर भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है.यूं तो इस मंदिर में हर रविवार एवं मंगलवार को भक्तों की भारी भीड़ लगती है. लेकिन हर साल नवरात्र में आने वाले भक्तों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि लगभग 350 वर्ष पूर्व मां विंध्यावासिनी के पिंड का अंश लाकर उनके भक्त व सिद्ध पुरुष विद्यानंद जी मिश्र ने स्थापना करायी थी. तब मिश्रीचक में काफी जंगल था इसलिये इनका नाम मां वनदेवी पड़ा.

वृद्ध के लिए विंध्यावासिनी आयीं बिहटा

मंदिर को लेकर कई किवंदतियां है लेकिन जो सबसे प्रचलित है,उसमें मां वनदेवी की स्थापना और अपने भक्त की लाज बचाने के लिए मां वनदेवी का कनखा माई बनना ज्यादा मशहूर है. बताया जाता है की विद्यानंद जी मिश्र मां के बड़े भक्त थे. उन्हें लोग अद्भुत सिद्धि के कारण भी आज जानते है. विद्यानंद उनदिनों भी मां विंध्यावासिनी, वैष्णोदेवी और मैहर में जाकर पूजा अर्चना किया करते थे. वृद्धावस्था में जब उन्हें चलने में परेशानी होने लगी तो एक रात मां विंध्यावासिनी उनके स्वप्न में आई. उन्होनें कहा कि हमारे पिंड का कुछ अंश लेकर चलो मैं तुम्हारे साथ चलूंगी. विद्यानंद इस स्वप्न के बाद विंध्याचल गए और पिंड का अंश लेकर बिहटा के राघोपुर एवं कंचनपुर गांव के बॉडर स्थित जंगल में पहुंचे. जहां एक जगह पर उनकी स्थापना कर प्रतिदिन पूजन करने लगे.

नवरात्र पर होती है विशेष पूजा

नवरात्र के मौके पर मां वन देवी का विशेष श्रृंगार एवं अंखंड ज्योत भी जलता है जो नवरात्र के नौ दिनों तक जलता है. नवरात्र में नौ दिन मां की विशेष पूजा एवं आरती होती है. सतमी के दिन मां का पट खुलने के बाद से दूर-दराज से श्रद्धालु मां का पूजा करने पहुंचे है. मंदिर के पुजारी सीतलेश्वर मिश्र बताते हैं कि विद्यानंद मिश्रा जो बिहटा के राघोपुर गांव के निवासी थे. उन्होंने मां विंध्यवासिनी से पूजा करके इस मंदिर का स्थापना किया था. जो चारों तरफ वनों और जंगलों से घिरा हुआ है.

रिपोर्ट: बैजू कुमार

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