गांव के विकास पर बिहार का फोकस, राष्ट्रीय औसत से चार फीसदी अधिक खर्च हुई राशि
सरकार की ओर से बताया गया कि वर्ष 2022-23 में ग्रामीण विकास पर राज्य में 15456.5 करोड़ रुपये खर्च किये गये. कुल बजट का लगभग 6.5 फीसदी राशि ग्रामीण विकास पर खर्च की गयी. हालांकि, इस साल बीते चार वर्षों की अपेक्षा खर्च की राशि घटी है.
पटना. राज्य सरकार की ओर से 18वां आर्थिक सर्वेक्षण विधानसभा के पटल पर पेश किया गया. इसमें ग्रामीण विकास विभाग की ओर संचालित कार्यों का पूरा ब्योरा प्रस्तुत किया गया. सरकार की ओर से बताया गया कि वर्ष 2022-23 में ग्रामीण विकास पर राज्य में 15456.5 करोड़ रुपये खर्च किये गये. कुल बजट का लगभग 6.5 फीसदी राशि ग्रामीण विकास पर खर्च की गयी. हालांकि, इस साल बीते चार वर्षों की अपेक्षा खर्च की राशि घटी है. वर्ष 2021-22 में 7.12, वर्ष 2020-21 में 9.44, वर्ष 2019-20 में 9.19 तथा वर्ष 2018-19 में 7.96 प्रतिशत राशि खर्च हुई थी. हालांकि, राष्ट्रीय औसत से बिहार में अधिक राशि खर्च की गयी. ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 3.45 फीसदी राशि ही खर्च हुई है.
मनरेगा में जॉबकार्ड की संख्या घटी, रोजगार बढ़े
मनरेगा में बीते वर्ष 2021-22 की अपेक्षा इस साल जॉब कार्ड की संख्या घट गयी है. पिछले वर्ष कुल 235.3 लाख जॉब कार्ड बने थे. वर्ष 2022-23 में यह घटकर 167.01 लाख हो गयी है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस साल रोजगार पाने वालों की संख्या बढ़ी है. 2022-23 में 50.17 लाख तथा वर्ष 2021-22 में 48 लाख परिवारों को काम मिला था. इनमें से 0.4 फीसदी परिवारों को सौ दिन रोजगार मिले. मनरेगा में रोजगार पाने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है. मनरेगा में महिलाओं में काम करने का प्रतिशत पिछले वर्ष 53.2 प्रतिशत था. वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़ कर 56.3 फीसदी हो गया. बीते वर्ष की अपेक्षा वर्ष 2022-23 में मनरेगा में कम काम ही पूरे हुए हैं. वर्ष 2021-22 में जहां 13 लाख काम पूरे हुए, वहीं वर्ष 2022-23 में 10.9 लाख काम ही पूरे हो सके.
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मुख्य बातें
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-आर्थिक सर्वेक्षण ::- वर्ष 2021-22 की अपेक्षा 2022-23 में खर्च की राशि घटी
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– वित्तीय वर्ष 2021-22 की अपेक्षा 2022-23 में मनरेगा से तीन लाख काम कम हुए
डाटा
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15456.5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं ग्रामीण विकास पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में
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50.17 लाख परिवारों को मनरेगा से रोजगार मिला है वर्ष 2022-23 में
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56.3 फीसदी महिलाओं को काम मिला मनरेगा में, पिछले वर्ष यह आंकड़ा 53.2 प्रतिशत था
जीविका के तहत 34 हजार करोड़ के ऋण बांटे गये
जीविका के तहत सितंबर 2023 तक 10.47 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया. इनके बीच 34 हजार करोड़ रुपये के ऋण बांटे गये. वैकल्पिक बैंकिंग मॉडल के तहत 5006 बैंक सखियों के द्वारा 10,742.07 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ. 32 जिलों में 109 प्रखंडों में स्वयं सहायता समूहों की ओर से मछली पालन शुरू किया गया है. जीविका की ओर से 32 जिलों के 100 प्रखंडों में सामुदायिक पुस्तकालय सह कैरियर विकास केंद्र स्थापित किये गये हैं.