आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: बिहार में मिस्त्री-मजदूर सबसे अधिक कामगार, महज 5 फीसदी लोग कर रहे नौकरी

सरकार ने लोगों के 'कार्यकलाप' को दिखाते समय कुल नौ तरह के कार्यकलाप दिखाये हैं. 100 प्रतिशत आबादी की रिपोर्ट जारी की गई है. राज्य की 67.54 प्रतिशत आबादी, यानी 8 करोड़ 82 लाख 91 हजार 275 लोगों को 'गृहणी, विद्यार्थी आदि' बताया गया है. बाकी कार्यकलपा के आंकड़े स्पष्ट हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 7, 2023 3:50 PM
an image

पटना. नीतीश सरकार ने बिहार में जातीय गणना पर आधारित विभिन्न जातियों की आर्थिक शैक्षणिक स्थिति का आंकड़ा जारी कर दिया है. बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को हंगामे के बीच विधानसभा में रिपोर्ट पेश किया गया. इसकी कॉपी सभी सदस्यों के बीच बांटी गई. इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि किस जाति की कितनी आबादी आर्थिक और शैक्षणिक रूप सेकितना सबल या कमजोर है. सरकार ने लोगों के ‘कार्यकलाप’ को दिखाते समय कुल नौ तरह के कार्यकलाप दिखाये हैं. 100 प्रतिशत आबादी की रिपोर्ट जारी की गई है. इसमें भिखारी और कचरा बीनने वालों तक की संख्या बताई गई है, लेकिन कितने लोगों को रोजगार की तलाश है, यह संख्या नहीं दिखाई गई है. राज्य की 67.54 प्रतिशत आबादी, यानी 8 करोड़ 82 लाख 91 हजार 275 लोगों को ‘गृहणी, विद्यार्थी आदि’ बताया गया है. बाकी कार्यकलपा के आंकड़े स्पष्ट हैं.

मिस्त्री-मजदूर का बिहार, सबसे ज्यादा यही कर रहे काम

सरकार ने 67.54 प्रतिशत आबादी को ‘गृहणी, विद्यार्थी आदि’ में रखा है, इसलिए अब शेष आबादी में ही कार्मिकों का बंटवारा देखना होगा. इसमें देखें तो यह साबित होता है कि बिहार कृषक आधारित राज्य नहीं है, बल्कि मिस्त्री-मजदूरों का राज्य है. राज्य में खेती करने वालों की आबादी 7.7 प्रतिशत है. यानी, करीब एक करोड़ 70 हजार 827 लोग खेती से जुड़े हैं, जबकि दो करोड़ 18 लाख 65 हजार 634 लोग मिस्त्री-मजदूर जैसा काम करते हैं. यह कुल आबादी का 16.73 प्रतिशत है.

Also Read: जाति गणना के आर्थिक सर्वे के रिकॉर्ड से उठा पर्दा, जानें सवर्ण जातियों में कौन है सबसे धनी

नौकरियों में 5 प्रतिशत लोग, सरकारी सिर्फ 1.57 फीसदी

जातीय जनगणना की आर्थिक रिपोर्ट में नौकरियों को तीन भाग में बांटकर लोगों की संख्या और उनका प्रतिशत बताया गया है. कुल 4.92 प्रतिशत आबादी के पास नौकरी है, जिनमें 1.57 प्रतिशत सरकारी नौकरी वाले हैं. कुल आबादी के 2.14 प्रतिशत लोगों के पास असंगठित क्षेत्र की प्राइवेट नौकरी है. ईपीएफ- इंश्योरेंस जैसी सुविधाओं के साथ नौकरी देने वाले संगठित क्षेत्रों की प्राइवेट नौकरी 1.22 प्रतिशत आबादी के पास है.

स्वरोजगार में भिखारी का भी आंकड़ा

जाति आधारित जनगणना की आर्थिक रिपोर्ट में कार्यकलाप की जानकारी लिए जाते समय स्वरोजगार के साथ-साथ भिक्षाटन और कचरा बीनने का काम करने वालों का भी वर्गीकरण किया गया है. 13 करोड़ की आबादी में महज तीन प्रतिशत 39 लाख 91 हजार 312 लोगों को स्वरोजगार करता दिखाया गया है. स्वरोजगार में चाय-पान-कपड़े आदि की अपनी दुकान चलाने वाले भी हैं. आर्थिक रिपोर्ट में 33 हजार 818 लोगों को भिक्षाटन से जुड़ा पाया गया, यानी बिहार में 0.03 प्रतिशत भीख मांगकर पेट पालते हैं. कचरा बीनकर पेट पालने वालों की संख्या 28 हजार 355 बताई गई है, यानी 0.02 प्रतिशत.

Exit mobile version