पटना: बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर शुक्रवार को जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान द्वारा आयोजित संगोष्ठी में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ऐसे समय में जब बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की मूर्तियां तोड़ी जा रही हो, संसद भवन में संविधान जलाया जा रहा हो. तो ऐसे समय में भारतीय संविधान और उसके निर्माता आंबेडकर की चर्चा करना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि आज आपके सामने प्रो. चंद्रशेखर इसलिये खड़ा है क्योंकि बाबा साहब का दिया हुआ संविधान है.
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि समाज में जातीय विषमता की मुखालफत करने वाले अंबेडकर से लेकर लालू प्रसाद तक को लगातार खलनायक सिद्ध किया जाता रहा है. उन्होंने मनुस्मृति, राम चरितमानस आदि ग्रंथों में लिखे हुए असमानता से जुड़े कई सारे प्रसंगों की चर्चा की. आंबेडकर को कोट करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो पियेगा दहाड़ेगा.
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संस्थान के निदेशक नरेन्द्र पाठक ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए बिहार में 1930 से लेकर लंबे समय तक चलने वाले विभिन्न आंदोलनों का जिक्र किया. इसके अलावे उन्होंने डॉ.आंबेडकर की चर्चा करते हुए कहा कि वे समानता, समाजवाद और संप्रभुता के प्रतीक रहे हैं. वहीं, चाणक्य नेशनल लॉ विश्वविद्यालय, पटना के प्रो. एस.पी. सिंह ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि संसदीय व्यवस्था को हमने चुना, क्योंकि इसमें उत्तरदायित्व की भावना है.
इस मौके पर बिहार विधानसभा सदस्य गोपाल रविदास, बिहार विधान परिषद सदस्य प्रो. गुलाम गौस, बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, बिहार विधानसभा सदस्य प्रतिमा कुमारी समेत कई अन्य गणमान्य उपस्थित रहे. बताते चलें कि संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर यह कार्यक्रम आयोजित की गयी थी. उपस्थित गणमान्य लोगों ने वंचित समुदायों तक लोकतंत्र की दस्तक और संविधान विषय पर परिचर्चा की. इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक नरेन्द्र पाठक ने किया और कार्यक्रम का संचालन पत्रकार ध्रुव कुमार ने किया. मौके पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने मंच पर उपस्थित वक्ताओं को संविधान पुस्तक की प्रतियां भेंट की.