पटना : दीघा में भाजपा और पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में जदयू को इस बार सीधे माले टक्कर दे रहा है. भाजपा के लिए दीघा सीट भले ही थोड़ी राहत भरी हो, पर भाकपा- माले अपनी राह आसान बनाने में जुटी है. वहीं, पालीगंज सीट जदयू के लिए काफी मुश्किल भरा होगा क्योंकि पालीगंज में माले तीसरे स्थान पर रहता है.
इसलिए माले ने दोनों जगहों पर हाइटेक तरीके से चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. पालीगंज में 14 टीम उतरी है, दीघा में पार्टी की सात टीम चुनाव मैदान में है. वहीं,व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए वोटरों तक पहुंचने की रणनीति भी बनायी गयी है. माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने खुद दोनों क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंप दी है.
पालीगंज और दीघा विधानसभा क्षेत्रों में महागठबंधन के सभी घटक दल माले उम्मीदवार के लिए एकजुट होकर प्रचार करेंगे. इसके लिए माले ने तैयारी कर ली है. राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि सभी घटक दल एक साथ मिलकर प्रचार करेंगे. कुछ दिनों में महागठबंधन के सभी नेताओं की सभा होनी है, इसके लिए एक -दो दिनों में समय का निर्धारण हो जायेगा.
2008 के परिसीमन के बाद 2010 विधानसभा चुनाव में एनडीए से जदयू के टिकट पर पूनम देवी विधायक बनीं, लेकिन 2015 में जेडीयू के अलग होने के बाद यह सीट वापस भाजपा को मिली और संजीव चौरसिया यहां से जीते. संजीव चौरसिया को लगभग 92671 वोट मिले और जेडीयू के उम्मीदवार राजीव रंजन प्रसाद को 67892 वोट यानी 24779 बोर्ड से संजीव चौरसिया की जीत हुई, लेकिन इस बार चुनाव में माले उम्मीदवार शशि यादव को टिकट मिला है और इन्हें महागठबंधन का समर्थन हैं. 2015 में माले से रणविजय और 2010 में अनिता सिन्हा उम्मीदवार थे.
पालीगंज में 2010 में भाजपा ने उषा विद्यार्थी को टिकट दिया था और उन्हें 43652 वोट आये थे. वहीं, आरजेडी के जयवर्धन यादव ने 33450 वोट लाया था यानी आरजेडी उम्मीदवार को उषा विद्यार्थी ने 10242 वोट से हराया था. तीसरे स्थान पर माले के एनके नंदा 16648 वोट लाकर खड़े थे. 2015 में जयवर्धन को 65932 वोट मिले, वहीं बीजेपी से रामजतन शर्मा को 41400 वोट मिले. वहीं, माले के उम्मीदवार अनवर हुसैन को 19438 वोट मिले थे और माले उम्मीदवार तीसरे स्थान पर थे.
Posted by Ashish Jha