Bihar Assembly Election 2020: नीतीश कुमार के सामने यंग बिग्रेड, तेजस्वी-तेजप्रताप, चिराग के साथ इन नेताओं पर है नजर…
Bihar Assembly Election 2020 Bihar Chunav के पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को है. इसको लेकर सियासी गहमागहमी तेज हो चुकी है. खास बात यह है कि बिहार चुनाव में इस बार काफी कुछ बदल गया है. बड़ी बात यह है कि Bihar Chunav में CM Nitish के सामने कई युवा नेता हैं. Tejashwi Yadav, Tej Pratap Yadav, Chirag Paswan, Kanhaiya Kumar, Rahul Gandhi, Priyanka Gandhi Vadra से लेकर Pushpam Priya Choudhary युवा नेता हैं. जबकि, Nitish Kumar की JDU BJP के साथ Bihar की सत्ता में हैं.
Bihar Assembly Election 2020: बिहार चुनाव के पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को है. इसको लेकर सियासी गहमागहमी तेज हो चुकी है. खास बात यह है कि बिहार चुनाव में इस बार काफी कुछ बदल गया है. कोरोना संकट में हो रहे चुनाव में वर्चुअल रैली पर जोर दिया जा रहा है. डिजिटल मीडियम के जरिए नेताजी अपनी बातों को जनता तक पहुंचा रहे हैं. बड़ी बात यह है कि बिहार चुनाव में सीएम नीतीश कुमार के सामने कई युवा नेता हैं. तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, चिराग पासवान, कन्हैया कुमार, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा से लेकर पुष्पम प्रिया चौधरी तक युवा नेता हैं. नीतीश कुमार की जेडीयू बीजेपी के साथ सत्ता में है. बड़ा सवाल यह कि युवा नेता अपना करिश्मा दिखा सकेंगे?
‘बिहार से दिल्ली तक’ नीतीश कुमार…
बिहार में नीतीश कुमार ऐसा चेहरा हैं जिनको देश के साथ विदेश में भी जाना जाता है. नीतीश कुमार ने छोटी शुरुआत की और आज राजनीति के जाने-पहचाने चेहरे हैं. बिहार से लेकर दिल्ली तक नीतीश कुमार ने अपनी काबिलियत साबित की. केंद्रीय मंत्री रहे और बिहार की सत्ता भी संभाली. आज भी नीतीश कुमार बिहार के सीएम हैं. बिहार में नीतीश कुमार के सामने राजनीति के जितने भी बड़े चेहरे हैं उन सबमें एक चीज कॉमन है- अनुभव की कमी. नीतीश कुमार ने राजनीति में फर्श से अर्श का सफर तय किया है. छात्र राजनीति से बाहर निकले बिहार के सीएम नीतीश कुमार गांव से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने गरीबी को नजदीक से देखा है. अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत नीतीश कुमार बिहार की सत्ता को संभाले हुए हैं.
तेजस्वी यादव के साथ तेजप्रताप यादव
बिहार चुनाव में राजद के तेजस्वी यादव लगातार जीत के दावों में उलझे हैं. जबकि, उनके भाई तेजप्रताप यादव खुद को कृष्ण और तेजस्वी को अर्जुन बताने से नहीं चूकते. दोनों के पास बिहार की सत्ता में रहने का राजनीतिक अनुभव भी है. दोनों बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के पुत्र हैं. दोनों को राजनीति विरासत में मिली. इन्होंने कभी भी उतना संघर्ष नहीं किया जितना नीतीश कुमार करके आज बिहार की बागडोर संभाल रहे हैं. दोनों सामाजिक न्याय, गरीब-गुरबों की बातें करते हैं. दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने सामाजिक न्याय की लंबी लड़ाई लड़ी. तेजस्वी-तेजप्रताप के पास सियासी समझ भी कम रही है. आज भी दोनों भाई अपने पिता लालू प्रसाद यादव का नाम लेकर ही राजनीति करते देखे जा सकते हैं.
चिराग पासवान कितना करेंगे कमाल?
लोजपा के नेता चिराग पासवान भी युवा नेता हैं. बिहार चुनाव से पहले उन्होंने एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया. वो बिहार में अपने बूते चुनाव लड़कर ‘गेमचेंजर’ बनना चाहते हैं. हकीकत में आज भी लोजपा और चिराग पासवान को बिहार में पीएम मोदी के नाम का सहारा चाहिए. इसको लेकर बीजेपी ने कार्रवाई की बात भी कही है. लेकिन, लोजपा अपने स्टैंड पर कायम है. चिराग पासवान बिहार की जमुई सीट से सांसद हैं. उनके पिता रामविलास पासवान का राजनीति में बड़ा कद है. चिराग राजनीति में आने के पहले एक्टर रहे. एक्टिंग में करियर फ्लॉप होने के बाद राजनीति में चिराग की एंट्री हुई है. चिराग पासवान के पास भी नीतीश कुमार के जीतना ना तो अनुभव है और ना ही बिहार की राजनीति की ठीक से समझ.
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा
अगर कांग्रेस की बात करें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के भी बिहार में चुनाव प्रचार करने की संभावना है. बताया जाता है कि दोनों कांग्रेस के लिए बिहार में वोट मांगने आएंगे. तीन चरण में होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव के हर चरण में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव प्रचार करने पहुंचेंगे. खास बात यह है कि दोनों के पास नीतीश कुमार के जितना अनुभव नहीं है. राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके. उत्तरप्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को लीड किया. नतीजे निकले तो उनके हाथ कुछ खास नहीं लगा. अब दोनों बिहार में पार्टी में नई जान फूंकने आ रहे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि दोनों के कारण कांग्रेस का कितना फायदा मिलता है.
प्लुरल्स पार्टी और पुष्पम प्रिया चौधरी
बिहार विधानसभा चुनाव में प्लुरल्स पार्टी की अध्यक्ष और सीएम पद की उम्मीदवार पुष्पम प्रिया चौधरी भी सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय दिख रही हैं. लंदन रिटर्न पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार के लिए खास रोडमैप पर काम करना चाहती हैं. उनके मुताबिक बिहार को बदलने का उनके पास आइडिया है. अगर राजनीति की बात करें तो उनके पास ज्यादा अनुभव नहीं है. पुष्पम प्रिया चौधरी सोशल मीडिया पर लगातार अपनी गतिविधि की जानकारी देती रहती हैं. बिहार से जुड़ी प्लानिंग शेयर करती रहती हैं. अपने खास अभियान के लिए सुर्खियां बटोरती हैं. लेकिन, उनके पास राजनीति में काम करने का अनुभव नहीं है. वो बिहार की ग्राउंड रियल्टी की बात करती हैं. जबकि, बिहार में उनकी एंट्री सीएम पद के उम्मीदवार के रूप में हुई है.
विरासत की राजनीति और बिहार…
खास बात यह है कि बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव से लेकर कन्हैया कुमार तक जैसे नेताओं की बातें भी खूब की जाती है. कन्हैया कुमार बिहार में लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं. पप्पू यादव बिहार चुनाव के मैदान में अपना खोया वजूद तलाश रहे हैं. जबकि, तेजप्रताप-तेजस्वी, चिराग पासवान, राहुल-प्रियंका के तीन घरानों की तिकड़ी को राजनीति में संघर्ष से कुछ भी हासिल नहीं हुआ है. इनके पास सत्ता में रहने और सबको साथ लेकर चलने का खास अनुभव भी नहीं है. राजद और लोजपा ने हमेशा कास्ट-बेस्ड राजनीति की. हमेशा खुद को किंगमेकर और गेमचेंजर के खिताब से नवाजा. हकीकत में राजद सत्ता से दूर है और लोजपा का राजनीतिक वजूद 2005 के बाद लगातार सिमटता जा रहा है.