दाउदनगर : ओबरा विधानसभा क्षेत्र से जदयू प्रत्याशी बदलते गये, लेकिन अभी तक जदयू को सफलता प्राप्त नहीं हुई है. हां जदयू के लिए राहत की बात यह है कि पहले की अपेक्षा वोट में वृद्धि होती गयी. अब इस विधानसभा चुनाव में जदयू की क्या स्थिति रहती है, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा.
पिछले पांच चुनावों के परिणाम पर अगर गौर करें तो एनडीए गठबंधन से समता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में वर्ष 2000 में चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को (13.85 प्रतिशत )मत प्राप्त हुये थे. फरवरी 2005 में जदयू ने शालिग्राम सिंह को प्रत्याशी बनाया ,जिन्हें 15993 मत प्राप्त हुये.
अक्टूबर 2005 के चुनाव में जदयू ने उम्मीदवार को बदलते हुये इस क्षेत्र के लिये बिल्कुल ही नये चेहरे प्रमोद सिंह चंद्रवंशी को चुनाव मैदान में उतारा, जो 23315 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे. वर्ष 2010 में एनडीए की लहर में एक बार पुन:जदयू ने प्रमोद सिंह चंद्रवंशी को ही चुनाव में मैदान में उतारा, जो 36012( 27.65 प्रतिशत)मत लाकर कांटे की टक्कर में चुनाव हार गये.
इस प्रकार इन दोनों चुनावों में वोट के प्रतिशत में वृद्धि दिखती है. वर्ष 2015 में राजद- जदयू के गठबंधन में यह सीट राजद के खाते में चली गयी और राजद ने चुनाव जीता. वर्ष 2020 के चुनाव में जदयू ने एक बार फिर उम्मीदवार को बदलते हुये सुनील कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है. अब देखना यह है कि इस विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन एवं जदयू का प्रदर्शन क्या रहता है.
हालांकि जदयू से दो बार चुनाव लड़ चुके प्रमोद सिंह चंद्रवंशी अब बागी हो चुके हैं और उनके द्वारा भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर दिया गया है.इन्हें पार्टी ने निष्कासित भी कर दिया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि उनके चुनाव मैदान में रहने से एनडीए के प्रदर्शन पर क्या प्रभाव पड़ता है.
Posted by Ashish Jha