बिहार चुनाव 2020 को लेकर बुनकर समुदाय के लोग भौं ताने हुए हैं. जिले में डेढ़ लाख मतदाता बुनकर समुदाय से आते हैं. यही कारण है कि नेता भी बुनकरों को साधने की कोशिश में जुटे हैं. अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रत्याशी बुनकर बहुल्य क्षेत्र में खुद प्रचार करने नहीं पहुंच रहे हैं. दरअसल उनके पास बुनकरों के सवाल का जवाब नहीं है.
बुनकरों को साधने के लिए अलग-अलग पार्टी की ओर से बुनकर प्रकोष्ठ बनाया गया है. उनके जरिये बुनकर बहुल क्षेत्र में वोट का जुगाड़ करना चाह रहे हैं. प्रकोष्ठ के नेता भी अपने दल के ही बड़े नेताओं को थाह में लगे हैं, ताकि चुनाव जीतने के बाद कम से कम उनकी निजी स्वार्थपूर्ति हो सके. बुनकर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सह पार्षद नेजाहत अंसारी ने कहा कि चंपानगर, नाथनगर, नरगा, साहेबगंज, तांती बाजार आदि क्षेत्रों में विभिन्न दलों के समर्थक सीधे बुनकरों से संपर्क कर रहे हैं. प्रत्याशी बुनकर प्रतिनिधियों से दूरभाष से संपर्क कर रहे हैं.
बुनकरों की मानें तो सभी राजनीतिक दलों द्वारा बुनकरों के लिए प्रकोष्ठ बना दिया गया, लेकिन उनके लिए कुछ नहीं हुआ. बुनकर दूसरे का तन ढंकते हैं, लेकिन खुद भूखमरी के कगार पर हैं. हर बार की तरह इस बार भी आश्वासन मिला है. बुनकर संघर्ष समिति के प्रवक्ता देवाशीष बनर्जी ने बताया कि किसी दल की ओर बुनकरों की झोली में कुछ डालने के लिए नहीं है. ऐसे में नेताओं के सामने भी बुनकर अपना पत्ता नहीं खोल रहे हैं.
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विधानसभा चुनाव को लेकर बुनकरों की उम्मीद नयी सरकार से है कि उन्हें पूंजी से अधिक बाजार की जरूरत है. बुनकर समाज के निम्नवर्गीय लोगों को सरकारी स्तर पर स्थायी रोजगार चाहिए, ताकि किसी भी परिस्थिति में दूसरे जगह रोजगार की तलाश में भटकना नहीं पड़े.
बुनकरों का पलायन रोकना होगा. इस बार कई बुनकरों ने मिलकर कोरोना काल में लौटे बुनकर श्रमिकों के काम की व्यवस्था की थी, लेकिन बाजार के अभाव में वापस लौटना पड़ा.
मो तौसिफ सबाब, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग छात्र
हस्तकरघा बुनकर हो या पावरलूम बुनकर उन्हें रोजी-रोटी की परेशानी हो गयी है. कोई ठेला खींच रहा है तो कोई आइसक्रीम बेच रहा है. जो रोजगार की व्यवस्था करेगा, उन्हें ही वोट.
अब्दुल जलील, बुनकर
बुनकर बहुल क्षेत्र में इस बार किसी पर्व-त्योहार में चहल-पहल नहीं रही. चाहे मुस्लिम बुनकर हो या हिंदू बुनकर. सभी के बीच भरण-पोषण की परेशानी है. बाजार मिलने पर सारी परेशानी दूर हो जायेगी.
दयानंद राय, बुनकर
बुनकरों का रोजगार-धंधा ठप है. उनके धंधे को आगे बढ़ाने की चिंता किसी दल में नहीं है. ऐसे में प्रत्याशी को देखकर ही मतदान किया जायेगा. रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है.
इस्लाम अंसारी, बुनकर
कोरोना संकट में खुद को बचाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में वैसे नेता को ही वोट दिया जायेगा, जो कि बुनकरों को भागलपुर व प्रदेश में ही बाजार उपलब्ब्ध करायेगा.
जिया उल अंसारी, बुनकर
भागलपुर के बुनकरों ने अपने अधिकार के लिए शहादत दी है. नेता केवल घोषणा करते हैं, धरातल पर कम उतरता है. पलायन तभी रुकेगा, जब रोजगार की व्यवस्था सरकारी स्तर पर होगी.
अयाज अली, बुनकर सह पार्षद प्रतिनिधि
Posted by : Thakur Shaktilochan