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Bihar Assembly Election 2020 : एमआइएम की इंट्री से इस बार बदला-बदला दिखेगा किशनगंज जिले चुनावी समीकरण

Bihar Assembly Election 2020 : नेपाल व पश्चिम बंगाल के मुहाने पर स्थित किशनगंज जिले में कुल चार विस की सीटें हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | October 14, 2020 7:08 AM

विवेक चौधरी, गलगलिया (किशनगंज) : नेपाल व पश्चिम बंगाल के मुहाने पर स्थित किशनगंज जिले में कुल चार विस की सीटें हैं. इसमें ठाकुरगंज व कोचाधामन सीट सत्तारूढ़ जदयू के पास है, तो किशनगंज सीट पर कब्जा कर बिहार में एआइएमआइएम ने अपनी जगह बनायी है. बहादुरगंज विस सीट पर कांग्रेस की उपस्थिति है. इस इलाके में राजद व भाजपा अपनी जगह बनाने को संघर्षरत है.

कोरोना काल होने के बाद भी इस बार विस चुनाव काफी रोमांचक होने की उम्मीद है. इंडो-नेपाल सीमा पर अवस्थित बिहार के अंतिम छोर ठाकुरगंज विस में क्षेत्र में प्रत्याशियों की दौड़-भाग बढ़ गयी है. प्रत्याशी लोगों के साथ जनसंपर्क अभियान चलाकर बीते 5 साल में किये गये कार्य के बारे में लोगों को अवगत करा रहे हैं. वहीं, 10 साल से सत्ता से दूर ठाकुरगंज के पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल भी लोगों से मिल रहे हैं और अपनी बात लोगों के समक्ष रख रहे हैं. अभी नौशाद आलम जदयू से विधायक हैं.

ठाकुरगंज विस में दिघलबैंक प्रखंड की 14 पंचायतों को शामिल किया गया. ठाकुरगंज की 22 व दिघलबैंक प्रखंड की 14 पंचायतों को मिलाकर कुल 36 पंचायत ठाकुरगंज विधानसभा में हैं. वर्ष 1952 से लेकर अब तक हुए 15 चुनावों में बाजी दलीय प्रत्याशियों ने ही मारी है. वर्ष 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के अनाथ कांत बसु ने निर्दलीय कलीमुद्दीन को पराजित किया था. वहीं, वर्ष 1956 में बिहार बंगाल बंटवारे के बाद वर्ष 1967 के चुनाव में ठाकुरगंज विधानसभा में कांग्रेस के मो हुसैन आजाद ने जीत दर्ज की थी.

1969, 1972-1980-1985 में भी मो हुसैन आजाद ने जीत दर्ज की थी. इन पांचों चुनावों में कभी उनके सामने प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी तो कभी भारतीय जनसंघ तो कभी जनता पार्टी रही. 1977 व 1990 में जनता पार्टी एवं जनता दल से चुनाव जीतने वाले मो सुलेमान के सामने भी कांग्रेस ही रही. वर्ष 1995 में भाजपा के सिकंदर सिंह ने कांग्रेस को मात दी. वर्ष 2005 फरवरी के चुनाव में कांग्रेस के डॉ जावेद आजाद सपा से खड़े ताराचंद धानुका को हराकर पहली बार विस पहुंचे.

इस चुनाव में अंतर केवल 179 मतों का रहा, तो वर्ष 2005 नवंबर के चुनाव में समाजवादी पार्टी से ही खड़े गोपाल अग्रवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ जावेद आजाद को पराजित किया. वर्ष 2010 के चुनाव में लोजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे नौशाद आलम ने जीत दर्ज की. वर्ष 2015 के चुनाव में जदयू प्रत्याशी रहे नौशाद आलम ने चुनाव जीता. ठाकुरगंज विस क्षेत्र के मतदाता कभी भी लहर पर सवार नहीं होते.

कांग्रेस को सीट वापसी की चुनौती

कांग्रेस को अपनी सीट वापस लाने की चुनौती होगी, तो एमआइएम की इंट्री रोचक हो सकती है. एमआइएम ने यहां मजबूत आधार बना लिया है. एनडीए गठबंधन की बात करें, तो इस बार जदयू के सामने सीट बचाने की चुनौती होगी. एनडीए उम्मीदवार के सामने सहयोगी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की चुनौती होगी. पूर्व में सपा से चुनाव जीत चुके पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल भी सक्रिय हैं. अगर चौक चौराहे पर चर्चा की बात की जाय, तो इस बार ठाकुरगंज विस में त्रिशंकु होने के साथ-साथ ही बहुत ही रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है.

चलेगा पाला बदल का खेल

पिछला चुनाव राजद व जदयू ने साथ-साथ लड़ा था. इस बार जदयू, भाजपा के साथ है. जबकि, लोजपा अपने दम पर चुनाव लड़ रही है. बिहार में इस बार कई सीट पर चुनाव लड़ने का मंसूबा पाले एआइएमआइएम के हौसले भी बुलंद हैं. पहली बार किशनगंज सदर सीट से मीम के कमरूल होदा ने जीत दर्ज की है. इस जीत के बाद मीम कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त उत्साह है.

प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान सीमांचल की कई सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में कई सीटों पर नयी समीकरण बनेंगे. किशनगंज की चार सीटों की बात करें, तो जहां कुछ नये चेहरे भी इस बार मजबूत दावेदार हैं, तो कुछ महारथी इस बार पाला बदलने की फिराक में हैं. क्षेत्र संख्या 53 ठाकुरगंज विस में पुरुष मतदाता एक लाख, 45,125, महिला मतदाता एक लाख, 36,893 व तृतीय लिंग के मतदाता की संख्या छह है.

Posted by Ashish Jha

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