Bihar Election News: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब एक 20 दिन से भी कम का वक्त बचा है. नामांकन खत्म हो चुका है लेकिन पार्टियां अब भी अपने उम्मीदवारों और नए गठबंधनों का ऐलान करने में जुटी हुई हैं. राजनीतिक दलों में जोड़-तोड़ की कोशिशें जारी हैं. एनडीए और महागठबंधन से जिन लोगों को टिकट नहीं मिला वो तेजी से अपना बाला बदल रहे हैं. राजद ने लोजपा के सांसद रहे रामा सिंह की पत्नी वीणा देवी को वैशाली से टिकट दिया है.
इसके विरोध में अंतिम दिनों में राजद से इस्तीफा देने वाले वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश बाबू के बेटे सत्यप्रकाश सिंह जदयू में शामिल हो गए. दूसरी तरफ इस वक्त जोड़-तोड़ की राजनीति का सबसे ज्यादा फायदा लोजपा को होता दिख रहा है. दरअसल, लोजपा लगातार भाजपा के उन नेताओं को तोड़ रही है, जो कुछ सीटों के जदयू के पास चले जाने और टिकट न मिलने की वजह से नाराज थे.
चिराग की पार्टी लगातार ऐसे लोगों को जदयू उम्मीदवारों के खिलाफ उतार रही है. ऐसे में लोजपा सबसे बड़े फायदे में है. पार्टी अब तक भाजपा के चार नेताओं को तोड़ चुकी है. इसमें भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र सिंह व पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा भी शामिल हैं. इसके अलावा भाजपा के टिकट पर 2010 में पालीगंज से विधायक बनने वाली ऊषा विद्यार्थी और चार बार के विधायक रामेश्वर चौरसिया भी लोजपा में जा चुके हैं.
परसा विधानसभा से जदयू नेता मैनेजर सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की, बुधवार को टिकट की घोषणा होते ही मैनेजर सिंह ने कहा कि जदयू ने परसा विधानसभा से किसी और को उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में अब वह निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. टिकट नहीं मिलने से आहत पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद कुशवाहा ने जदयू से अलग निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने का निर्णय लिया है.
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वहीं बेगूसराय की बछवारा विधानसभा सीट कांग्रेस की सीटिंग सीट थी. कुछ दिन पहले ही यहां के कांग्रेस विधायक रामदेव राय का निधन हो गया था. अब यह सीट महागठबंधन के तहत सीपीआई के खाते में चली गई. दिवंगत विधायक के पुत्र शिव प्रकाश गरीब दास इस सीट से कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें यहां से टिकट नहीं दिया गया. इस बात से नाराज शिव प्रकाश गरीब दास ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
Posted By: Utpal kant