बरारी विधानसभा से वर्ष 1990 में निर्दलीय विधायक के रूप में प्रेमनाथ जायसवाल ने जीत कर सबों को चौंका दिया था. चुनावी मैदान में अकेले दम पर उतरे और लोगों ने विधायक बनाकर विधानसभा पहुंचा दिया था. तब वे लालू प्रसाद की सरकार में शामिल हुए थे.
उन्हीं पूर्व विधायक प्रेमनाथ जायसवाल की जिंदगी भगवान की आराधना में अब बीत रही है. उनका सादगी भरा जीवन आज के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है. पूर्व विधायक प्रेमनाथ बताते हैं- 1990 के विधानसभा चुनाव में कफन बांधकर मैदान में उतरा.
जब चुनाव मैदान में उतरे तो मतदाताओं के बीच जाकर यही नारा दिया- कफन बांधकर उतरे हैं, जिताना व हराना अब आपके हाथ में है. पैसे की कमी के बीच चुनाव लड़ रहे थे. दूसरी ओर कई दिग्गज प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे.
चुनाव प्रचार के दौरान सुबह निकलना व देर रात तक लोगों से मिलना होता था. जहां रात हो जाती थी वहीं रात गुजार लेते थे. फिर सुबह उठकर प्रचार में जुट जाते थे. काफी कम संसाधन के बीच चुनाव लड़ा.
वे याद कर कहते हैं कि दूसरे के यहां नाश्ता, खाना होता था. अपनी राशि खर्च करने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी. गरीबों के घर खाना खाता तो काफी सकून मिलता था. लोग हर तरह से मदद कर रहे थे. जहां दूसरे नेता लाखों खर्च कर रहे थे. वहीं मेरे चुनाव का बीड़ा आमलोग खुद उठा रहे थे.
बरारी विधानसभा चुनाव में 38,000 मत लाकर निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचा. जनता की सेवा आज भी कर रहा हूं. वे बताते हैं कि अब पहले वाली बात कहां है. पहले वाले नेता भी अब नहीं हैं. चुनाव में अब धन- बल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है. अब जितने लोग चुनाव जीतने के लिए लाखों खर्च करते हैं वे उससे दोगुना कमाने के फेर में रहते हैं.
Posted by Ashish Jha