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बिहार विधानसभा चुनाव : जदयू के इन छह नेताओं को मिली चुनावी अभियान की जिम्मेदारी, आप भी विस्तार से जानिए…

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए तारीखों का एलान होने के साथ ही सियासी दलों के भीतर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गयी हैं. सभी दलों के प्रमुख नेताओं ने चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए कमर कस ली है. इसी कड़ी में बिहार में सत्तारूढ़ दल जदयू के भीतर भी सियासी हलचल तेज हो गयी है. अपनी पार्टी को बड़ी सफलता दिलाने के लिहाज से जदयू के वरिष्ठ नेता संगठन की ओर से सौंपे गये अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के प्रयास में जुट गये हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह नीतीश कुमार की ओर पार्टी के छह नेताओं को खास जिम्मेदारियों को पूरा जिम्मा सौंपा गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2020 6:31 PM
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पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए तारीखों का एलान होने के साथ ही सियासी दलों के भीतर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गयी हैं. सभी दलों के प्रमुख नेताओं ने चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए कमर कस ली है. इसी कड़ी में बिहार में सत्तारूढ़ दल जदयू के भीतर भी सियासी हलचल तेज हो गयी है. अपनी पार्टी को बड़ी सफलता दिलाने के लिहाज से जदयू के वरिष्ठ नेता संगठन की ओर से सौंपे गये अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के प्रयास में जुट गये हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह नीतीश कुमार की ओर पार्टी के छह नेताओं को खास जिम्मेदारियों को पूरा जिम्मा सौंपा गया है.

अक्टूबर-नवंबर में होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेता ललन सिंह, आरसीपी सिंह, विजय चौधरी, वशिष्ठ नारायण सिंह, अशोक चौधरी व संजय झा को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी हैं. सूत्रों की मानें, तो ललन सिंह को पार्टी सीटों पर तालमेल बनाने और दूसरे दलों से जदयू में आनेवाले नेताओं से बातचीत का जिम्मा मिला है. इसके साथ ही सीट बंटवारे जैसे मुद्दे पर पार्टी का दायरा निर्धारित करने की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गयी है. सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में शामिल अन्य सहयोगी दलों से बातचीत में उनकी अहम भूमिका रहेगी.

वहीं, राज्‍यसभा सांसद एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह को टिकट बंटवारे से जुड़े मामले और बूथ मैनेजमेंट जैसी अहम जिम्मेदारी सौंपी गयी है. उल्लेखनीय है कि आरसीपी सिंह के पास बतौर नौकरशाह लंबा प्रशासनिक अनुभव रहा है और उन्‍हें जदयू का जमीनी नेता माना जाता है. जबकि, विजय चौधरी को जदयू के टिकट पर चुनाव लड़नेवाले उम्मीदवारों के प्रोफाइल को जांचने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. अगर उम्मीदवार दमदार दिखे, तो टिकट फाइनल करने की प्रक्रिया में विजय चौधरी की भूमिका को अहम माना जायेगा.

उधर, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को ऑवरऑल मॉनटरिंग करने का जिम्मा सौंपा गया है. वशिष्ठ नारायण सिंह को पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं तथा नीतीश कुमार के बीच कड़ी माना जाता हैं. बताया जाता है कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक अपनी बात वशिष्‍ठ नारायण सिंह के माध्‍यम से ही पहुंचाते हैं. उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें यह अहम जिम्मेदारी मिली है.

जबकि, अशोक चौधरी के ऊपर पार्टी का पूरा दारोमदार है. गौर हो कि अशोक चौधरी को हाल ही में जदयू का कार्यकारी अध्‍यक्ष बनाया गया हैं. पार्टी के दलित चेहरा होने के साथ ही वे कुशल रणनीतिकार तथा सांगठनिक क्षमता में बेजोड़ माने जाते हैं. अशोक चौधरी को नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है.

वहीं, संजय झा के जिम्मे सोशल मीडिया को मैनेज करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. दिल्‍ली की राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाले संजय झा को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जदयू की वर्चुअल रैली को सफल बनाने का श्रेय उन्‍हें ही जाता है. चर्चा है कि जदयू को महागठबंधन से अलग कराने तथा फिर एनडीए में भाजपा के साथ करने में उनकी बड़ी भूमिका रही थी. इन सबके बीच सबसे खास बात यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद पार्टी की हर गतिविधि की स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय-समय पर चुनाव के मद्देनजर पार्टी के भीतर चल रहे हर हलचल पर नजर रखे हुए हैं.

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