महागठबंधन में केवल भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार, किसी अन्य की सुध लेने वाला कोई नहीं : मांझी
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने की बुधवार को घोषणा कर दी. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने इससे पूर्व आज दोपहर को कहा था कि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांझी तीन सितंबर को मोर्चा के राजग का हिस्सा होने की घोषणा क
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने की बुधवार को घोषणा कर दी. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने इससे पूर्व आज दोपहर को कहा था कि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांझी तीन सितंबर को मोर्चा के राजग का हिस्सा होने की घोषणा क
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, “चूंकि पार्टी द्वारा भविष्य में कार्यवाही के बारे में निर्णय लेने के लिए मुझे अधिकृत किया था, इसलिए मैंने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के सहयोगी के रूप में काम करने का निर्णय लिया है. चूंकि जदयू राजग का हिस्सा है, इसलिए मैं भी राजग का हिस्सा हूं.” हालांकि, उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी का किसी अन्य पार्टी में विलय का कोई सवाल ही नहीं उठता है. जब उनसे पूछा गया कि उनकी पार्टी द्वारा राजग में शामिल होने की घोषणा कल की जानी थी, तो मांझी ने कहा, ‘‘अच्छे काम को कल के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए.”
मांझी ने राजग के सहयोगी के रूप में आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए सीटों की संख्या पर कुछ नहीं कहा. बिहार में सत्तारूढ़ राजग में पहले से ही एक दलित नेता केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा शामिल है, ऐसे में मांझी के लिए प्रस्तावित बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अधिक सीटों के लिए दबाव बनाना आसान नहीं होगा. गत 20 अगस्त को मांझी के नेतृत्व वाले मोर्चा ने प्रदेश के विपक्षी महागठबंधन में समन्वय समिति नहीं बनाए जाने पर उससे नाता तोड़ लिया था.
राज्य विधानसभा में मांझी अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक हैं. मोर्चा के महागठबंधन से निकल जाने के बाद अब इस गठबंधन में चार दल राजद, कांग्रेस, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा और मुकेश सहनी का दल वीआईपी बचे हैं. मांझी ने कहा कि उन्होंने महागठबंधन को छोड़ दिया क्योंकि यह स्पष्ट हो गया था गठबंधन में चाहे राजद हो या कांग्रेस, बेहतर और सुचारू कामकाज के लिए समन्वय समिति की उनकी मांग को सुनने वाला कोई नहीं था.
मांझी ने कहा कि जब वह महागठबंधन में शामिल हुए तो उन्हें पता चला कि केवल भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार है और किसी अन्य की सुध लेने वाला कोई नहीं है. एक प्रश्न के उत्तर में कि उन्होंने महागठबंधन का लाभ उठाया क्योंकि वह अपने बेटे संतोष सुमन को विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बनाने में सफल रहे, तो मांझी ने पूछा, “क्या वह सातवीं और आठवीं कक्षा पास है… नहीं, वह (संतोष) एक एमए पीएचडी, एनईटी उत्तीर्ण हैं और वह इसके हकदार थे. किसी की कृपा से उन्हें एमएलसी नहीं बनाया गया.”
मांझी ने आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति पर चर्चा करने के लिए पूर्व सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी सहित कुछ गैर-राजग और गैर-महागठबंधन दलों के साथ बुधवार (02 सितंबर) को होने वाली बैठक स्थगित कर दी थी. राजग में वापसी की अटकलों के बीच 27 अगस्त को मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यहां एक अणे मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की थी.
मांझी ने नीतीश कुमार से मुलाकात के दौरान किसी भी तरह की राजनीतिक वार्ता होने से इनकार करते हुए कहा था कि यह मुलाकात स्थानीय मुद्दों और समस्याओं पर केंद्रित थी. उल्लेखनीय है कि मांझी ने जदयू से नाता तोड़कर अपनी नयी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा बना ली थी और राजग के घटक के तौर पर 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन जुलाई 2017 में नीतीश कुमार की राजग में वापसी होने पर वह विपक्षी महागठबंधन में शामिल हो गए थे.
Upload By Samir Kumar