नयी दिल्ली : कांग्रेस के भीतर जारी उथल-पुथल के बीच कुछ नेताओं का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी पूरे दमखम से तैयारी नहीं कर रही है, लेकिन चुनाव की रणनीति बना रहे पार्टी पदाधिकारी “समान विचारों” वाले दलों के साथ जल्दी ही गठबंधन होने के प्रति आश्वस्त हैं. कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कुछ पार्टियों द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव टालने की मांग किए जाने के बावजूद अक्टूबर-नवंबर में समय पर चुनाव होने की संभावना है.
इस चुनाव को भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और संयुक्त विपक्ष के बीच बड़ी राजनीतिक जंग के रूप में देखा जा रहा है. बिहार में सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का आधार कांग्रेस से अधिक मजबूत है और ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस इस हालत में नहीं है कि राज्य में विपक्षी राजनीतिक दलों का नेतृत्व कर सके. पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व और अन्य संगठनात्मक मुद्दों पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मतभेद जाहिर होने से कांग्रेस का चुनावी समीकरण और सीटों के तालमेल का गणित प्रभावित हो सकता है.
पार्टी पदाधिकारियों का हालांकि मानना है कि 23 नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखे पत्र से उपजे विवाद से बिहार चुनाव में कांग्रेस की तैयारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इन मसलों के अलावा इस बार सभी दलों को कोविड-19 के मद्देनजर चुनाव प्रचार अभियान के नये तरीके अपनाने होंगे. विभिन्न राजनीतिक समीकरणों में परिवर्तन के साथ सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि करीब 15 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज नीतीश कुमार की पकड़ इस बार भी मजबूत रहेगी या ‘महागठबंधन’ उन्हें चुनौती दे सकेगा.
जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाला दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा पहले से ही महागठबंधन से बाहर निकल चुका है, ऐसे में संयुक्त विपक्ष की दीवार में दरारें स्पष्ट रूप से झलकने लगी हैं. गठबंधन और सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर पूछे जाने पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि वह सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और “उचित चीजें उचित समय पर होती हैं.”
गोहिल ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम चाहते हैं कि समान विचारों वाले दल साथ मिलकर लड़ें और हम उसी दिशा में काम कर रहे हैं. मुझे विश्वास है कि अच्छे वातावरण में हम गठबंधन का निर्माण करेंगे.” यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी बिहार चुनाव में प्रचार करेंगे, गोहिल ने कहा कि राहुल का नेतृत्व पूरे देश के लिए है और “हम चाहेंगे कि वो बिहार में अधिकतम समय दें.”
पार्टी के 23 नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र से उपजे विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. गोहिल ने कहा, “कांग्रेस में अंदरूनी लोकतंत्र है जिसके तहत यह हुआ. पत्र मीडिया तक नहीं पहुंचना चाहिए था और इसे इतना तूल नहीं दिया जाना चाहिए था जितना दिया गया. लेकिन, कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद यह कोई मुद्दा नहीं रह गया है और बिहार चुनाव की तैयारियों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा.”
कांग्रेस की बिहार इकाई के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने गोहिल के बयान का समर्थन किया और कहा कि पत्र के प्रकरण का चुनाव की तैयारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे के लिए बातचीत चल रही है और जल्दी ही गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था. यह पूछे जाने पर कि क्या इस बार पार्टी 41 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी, झा ने सकारात्मक जवाब दिया.
उन्होंने विस्तृत ब्यौरा न देते हुए कहा, “(आरएसएलपी के) कुशवाहा जी होंगे, (विकासशील इंसान पार्टी के) मुकेश साहनी जी होंगे और नए सहयोगी दल भी जुड़ सकते हैं.” सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस आगामी हफ्तों में डिजिटल रैलियां भी करने वाली है. हालांकि, बिहार के सभी नेता यह नहीं मानते कि पार्टी चुनाव के लिए तैयार है.
कीर्ति आजाद ने कहा कि अब तक कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान को गति पकड़ लेनी चाहिए थी लेकिन “दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा.” उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “इस समय बहुत सी समस्याएं हैं. एक तो यह है कि आप सार्वजनिक रूप से सभा नहीं कर सकते, आपको डिजिटल रैली करनी होगी. भाजपा इसमें बहुत आगे है क्योंकि वे काफी समय से ऐसा कर रहे हैं. उनके पास धन है, व्यवस्था है और उन्होंने जून में शुरुआत कर दी थी.”
आजाद ने संकेत दिया कि चुनाव की रणनीति की प्रक्रिया में उन्हें शामिल नहीं किया गया है. बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने भी कहा कि पार्टी की तैयारियां उस तरह नहीं हो रही जैसे होनी चाहिए और कांग्रेस अपने विरोधियों से पिछड़ रही है.
Upload By Samir Kumar