बिहार विधानसभा चुनाव 2020: पीरपैंती, बिहपुर व गोपालपुर कभी कम्युनिस्ट का था किला, इस तरह होता गया ध्वस्त…
बिहार विधान सभा के पहले चुनाव में सभी दल के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने भी अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा था. वर्ष 1951 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के किसी भी प्रत्याशी को जनता का साथ नहीं मिला. हालांकि वोट का प्रतिशत बेहतर था. भागलपुर जिले में पार्टी को पहला विधायक वर्ष 1957 में बिहपुर व गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से मिला. दो विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करने के बाद तीसरी विधानसभा पीरपैंती बनी, जहां वर्ष 1967 में पहली बार अंबिका मंडल जीत कर सामने आये.
भागलपुर: बिहार विधान सभा के पहले चुनाव में सभी दल के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने भी अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा था. वर्ष 1951 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के किसी भी प्रत्याशी को जनता का साथ नहीं मिला. हालांकि वोट का प्रतिशत बेहतर था. पार्टी को पहला विधायक वर्ष 1957 में बिहपुर व गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से मिला. दो विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करने के बाद तीसरी विधानसभा पीरपैंती बनी, जहां वर्ष 1967 में पहली बार अंबिका मंडल जीत कर सामने आये.
1980 के चुनाव में पहली बार पार्टी ने तीनों विधानसभा खोया
संगठन का बिहपुर, गोपालपुर और पीरपैंती में जनाधार बढ़ता चला गया. तीन दशक से ज्यादा वक्त तक तीन विधानसभा क्षेत्र में राज करने के बाद धीरे-धीरे पार्टी का जनाधार गिरने लगा. वर्ष 1980 में हुए चुनाव में पहली बार अपना तीनों विधानसभा पार्टी ने खो दिया.
इन लोगों ने जीता था चुनाव, जनता का मिला था साथ
वर्ष 1951 में हुए चुनाव में बिहपुर से पहली बार प्रभु नारायण राय को टिकट मिला. हालांकि ये जीत नहीं सके. 27133 वोट में इन्हें 7136 वोट मिला था. यानी 26.30 प्रतिशत मत इन्हें मिला था. इसके अलावा बिहपुर व पीरपैंती से संगठन ने प्रत्यार्शी खड़ा नहीं किया था.
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1957 में मिली पार्टी को पहली बार जीत
वर्ष 1957 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को पहली बार जिले में जीत मिली. पहली बार टिकट लेकर गोपालपुर से चुनाव लड़ने वाले मनीराम सिंह को जीत मिली. इनको कुल 12700 वोट मिला था. जबकि बिहपुर से प्रभु नारायण राय ने बाजी मारी. इन्हें कुल 15288 वोट मिला था. जबकि पीरपैंती में अंबिका मंडल को पार्टी ने टिकट दिया था, लेकिन ये जीत नहीं पाये. बात वोट प्रतिशत की करे, तो मनी राम सिंह को 37.10 प्रतिशत वोट मिला था, जबकि यहां वोटर 22555 थे. जबकि प्रभु नारायण राय को 38678 वोट को 39.53 प्रतिशत मिला था.
अगले चुनाव में हार गये तीनों विधानसभा
वर्ष 1962 में हुए चुनाव के बाद संगठन अपना सीट बचाने में सफल नहीं हो सके. पीरपैंती से अंबिका मंडल , गोपालपुर से मनी राम सिंह तो बिहपुर से प्रभु नारायण राय अपना सीट नहीं बचा सके. हालांकि इन तीनों को जो वोट मिला, उसे बेहतर माना गया. इसका फायदा इन तीनों को 1967 के चुनाव में मिला. इन लोगों ने एक बार फिर अपना सीट जीत लिया. इस बार वोट का प्रतिशत ने पहले का रिकार्ड तोड़ दिया था.
1980 के बाद पार्टी के वोटर होने लगे शिफ्ट
वर्ष 1969 के चुनाव में पार्टी ने गोपालपुर सीट को खो दिया, लेकिन पीरपैंती व बिहपुर में जीत दर्ज कर दिया. इसमें बिहपुर से प्रभु नारायण राय तो पीरपैंती से अंबिका मंडल को जीते. पार्टी की स्वर्णीम काल 1977 रहा. जब बिहपुर, गोपालपुर और पीरपैंती से पार्टी ने जीत दर्ज की. फिर वर्ष 1980 में पार्टी ने अपनी सभी सीट हार गयी. इस साल से पार्टी के वोटर दूसरी जगह जाने लगे. इसका परिणाम पार्टी की हार के रूप में सामने आया. हालांकि वर्ष 1990 और 1995 में पीरपैंती से अंबिका मंडल ने जीत दर्ज किया.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya