Bihar Nitish Kumar Oath Ceremony News Update बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Polls 2020) में एनडीए (NDA) को मिली जीत के बाद जदयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सोमवार को राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. नीतीश कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में आज सातवीं बार सीएम पद की शपथ ली. खास बात यह है कि 2020 के चुनाव में भाजपा को जदयू से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल हुईं. बावजूद इसके भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को ही दिया है. इसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है.
नीतीश कुमार लगातार डेढ़ दशक से बिहार की सत्ता संभाले हुए हैं और ‘सुशासन बाबू’ के नाम से भी प्रचलित हैं. नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते रहे हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, नीतीश कुमार सही समय पर दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बनाना भी बखूबी जानते हैं. भले ही इस बार चुनाव में जदयू का प्रदर्शन पहले जैसा नहीं रहा और उसे पिछली बार 2015 विधानसभा चुनाव में मिली 71 सीटों के मुकाबले इस बार मात्र 43 सीटें मिलीं हैं, लेकिन नीतीश कुमार इस बार भी मुख्यमंत्री बने रहने में कामयाब रहे. राजनीतिक जानकारों की मानें तो इसके पीछे नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छी केमिस्ट्री को भी अहम वजह माना जा रहा है.
चर्चा है कि नीतीश कुमार को भले ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सीएम पद देने का फैसला लिया है, लेकिन एनडीए सरकार में पार्टी का प्रतिनिधित्व ज्यादा रहने की उम्मीद जतायी जा रही है. इसी के मद्देनजर इस बार नयी सरकार में भाजपा कोटे के मंत्रियों की संख्या अधिक रहने की बात सामने आ रही है. कहा जा रहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी को अभी से घेरने में जुटी भाजपा अति पिछड़ी जाति, महादलित व यादवों का सबसे ज्यादा समर्थन पाने की कोशिश में जुटी है और इसी के मद्देनजर इन समुदायों से आने वाले नेताओं को पार्टी में अहम जिम्मेदारियां सौंपी जायेगी.
भाजपा के पुराने सहयोगी रहे नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार इस बात जोर दिया कि एक बार फिर सत्ता में आने पर वे केंद्र सरकार के साथ मिलकर बिहार के विकास के लिए काम करेंगे. नीतीश कुमार ने बिहार में एनडीए का रोडमैप स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. शपथ ग्रहण समारोह से पहले रविवार को नीतीश कुमार ने कहा कि मैं सीएम नहीं बनना चाहता था, लेकिन भाजपा नेताओं के आग्रह और निर्देश के बाद मैंने पद स्वीकार किया है. साफ है कि भाजपा ने सुशासन बाबू के नाम से भी प्रचलित नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में स्वास्थ्य और शिक्षा सहित सामाजिक विकास में सुधार को लेकर काम को आगे बढ़ाने चाहती है. जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में 2015 की तरह सफलता मिल सके.
वहीं, मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने वाली भाजपा कैबिनेट में महत्वपूर्ण और ज्यादा पद अपने पास रखना चाहती है. इसलिए भाजपा ने नीतीश कुमार की इच्छा के विरुद्ध सीएम पद उन्हें दे दिया. कहा ये भी जा रहा है कि नीतीश कैबिनेट में भाजपा-जदयू को अगर बराबर अहमियत मिलती है तो इसका मतलब 50-50 फॉर्मूले पर बात बनी हैं. यानी आधे कार्यकाल के बाद सत्ता का ट्रांसफर भाजपा को जायेगा और फिर भाजपा का कोई सीएम बन जायेगा.
इन सबके बीच राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा आम जनता के बीच यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी ने प्रदेश में चुनाव लड़ने से पहले सीएम पद को लेकर जो वादा किया था, उसे उसने पूरा किया है. गौर हो कि बिहार में हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिलीं, जिनमें से नीतीश कुमार की जदयू को 43 सीटें मिलीं और भाजपा को जदयू से 31 सीटें अधिक (74 सीट) हासिल हुईं.
Also Read: Nitish Kumar Oath Ceremony : बीजेपी में जश्न का माहौल, सुशील मोदी नहीं पहुंचे पार्टी कार्यालय, क्या नाराज है पूर्व डिप्टी सीएम!
Also Read: VIP के नेता मुकेश सहनी होंगे नीतीश सरकार में शामिल, ऐसा रहा है सन ऑफ मल्लाह का सफर
Upload By Samir Kumar