पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को हराने के लिए कांग्रेस ने कूड़े के ढेर में ‘ सियासी आग ‘ लगा दी है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने रविवार को स्वच्छता अभियान, पेयजल, हर घर नल का जल, स्मार्ट सिटी और नमामि गंगे वाली केंद्र- राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने वाली विफल योजनाएं करार दे दिया.
मुख्यमंत्री – प्रधानमंत्री पर जनता की सेहत से खिलवाड़ करने, जनता को जहर पिलाने का आरोप लगाया और बिहार की एनडीए सरकार से 15 साल का हिसाब मांगा. सुरजेवाला ने राजधानी में बीच शहर में जीपीआे के सामने डंप हो रहे कूड़े के ढेर पर खड़े होकर प्रेस काॅन्फ्रेंस कर कहा कि नीतीश सरकार में चारों आेर कूड़े का ढेर और पीने के पानी में अंधेर है.
आकाश (वायु प्रदूषण) धरती (कूड़े का ढेर), पाताल (जल प्रदूषण) सब कांप उठे हैं. पीएम मोदी की सरकार ने ही दावा किया है कि भाजपा- जदयू वाली बिहार सरकार में पर्यावरण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. यहां का हवा, पानी और जमीन नष्ट कर दी गयी है. नीतीश सरकार दावा करती है कि सभी को नलों के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है.
प्रदेश को कूड़ा मुक्त बनाया गया है लेकिन केंद्र सरकार, एनजीटी और बीआइएस की रिपोर्ट कहती है कि सच्चाई इसके उलट है. स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में केंद्र सरकार ने बताया कि 10 लाख से ऊपर की आबादी वाले 47 शहरों में बिहार की राजधानी सर्वाधिक गंदे शहरों में है.
382 नगरपालिकाओं में बिहार के 26 शहर सबसे अंतिम पायदान पर हैं. सफाई में बिहार के शहर का नंबर 255 के बाद ही शुरू होता है. इस दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा, एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा, राजेश राठौड़ भी मौजूद रहे.
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कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जदयू-भाजपा सरकार ने स्वच्छता के लिए दी गयी राशि खर्च ही नहीं की. लोकसभा कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि ‘स्वच्छ भारत मिशन में अरबों रुपये आये, लेकिन 2016-17 में 127.77 करोड़ 2017-18 में 452.37 करोड़ और 2018-19 में 1055.88 करोड़ रुपये खर्च नहीं किये गये.
एनजीटी कह चुका है कि बिहार में कूड़ा-कचरे की आपात स्थिति है. पटना देश का तीसरा सर्वाधिक प्रदूषित शहर है. ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि बिहार में वायु प्रदूषण के कारण 4,000 लोग हर साल जान गंवा रहे हैं.
40 प्रतिशत जिलों में जमीन के पानी में आर्सेनिक से लोगों में कैंसर तेजी से फैल रहा है. बिहार में लगभग 34,812 किलोग्राम बायोमेडिकल वेस्ट प्रतिदिन निकलता है, लेकिन सरकार ने परवाह नहीं की.
सुरजेवाला ने कहा कि लोकसभा में मार्च 2020 को जल संसाधन मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बिहार में कुल 1,78,46,077 हाउस होल्डर्स हैं. इनमें से मात्र 3,36,178 को ही पाइप द्वारा पानी पहुंचाया जा रहा है.
यह मुद्दा भी उठाया कि सरकार ने 600 करोड़ से अधिक खर्च नहीं किये. नल जल योजना के ठेकेदारों के यहां छापेमारी का उदाहरण देते हुए कहा कि इसके करोड़ों रुपये से ही एनडीए के नेता हेलीकॉप्टर में उड़ रहे हैं.
Posted by Ashish Jha