Bihar Election 2020: बिहार चुनाव की घोषणा के बाद दिल्ली में एनडीए तो पटना में सुलझेगी महागठबंधन में सीट बंटवारे की गणित…
मिथिलेश,पटना: विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रदेश में सियासी सरगर्मी तेज हो गयी है. सत्ता के दो प्रबल दावेदार गठबंधनों में सीटों को लेकर खींचतान जारी है. एनडीए की सीटों की गणित दिल्ली में सुलझेगा.वहीं, महागठबंधन की गांठ पटना में ही खुलने के आसार हैं. एनडीए और महागठबंधन के नेताओं ने दो से तीन दिनों में सीट शेयरिंग का मामला सुलझा लेने का दावा किया है. एनडीए में बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव भाजपा कोटे की सीटों की संख्या और उनके नाम की सूची को लेकर दिल्ली पहुंच गये हैं. रविवार को जदयू के नेता आरसीपी सिंह और ललन सिंह से उनकी बातचीत होने की संभावना है. तालमेल को लेकर होने वाली बातचीत में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहेंगे.
मिथिलेश,पटना: विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रदेश में सियासी सरगर्मी तेज हो गयी है. सत्ता के दो प्रबल दावेदार गठबंधनों में सीटों को लेकर खींचतान जारी है. एनडीए की सीटों की गणित दिल्ली में सुलझेगा.वहीं, महागठबंधन की गांठ पटना में ही खुलने के आसार हैं. एनडीए और महागठबंधन के नेताओं ने दो से तीन दिनों में सीट शेयरिंग का मामला सुलझा लेने का दावा किया है. एनडीए में बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव भाजपा कोटे की सीटों की संख्या और उनके नाम की सूची को लेकर दिल्ली पहुंच गये हैं. रविवार को जदयू के नेता आरसीपी सिंह और ललन सिंह से उनकी बातचीत होने की संभावना है. तालमेल को लेकर होने वाली बातचीत में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहेंगे.
लोजपा को 28 सीटों की पेशकश की जायेगी
जदयू के अध्यक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोजपा के साथ बातचीत के लिए भाजपा नेताओं को पहल करने को कहा है. माना जा रहा है कि बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव जल्द ही लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान से मुलाकात कर सकते हैं. लोजपा को 28 सीटों की पेशकश की जायेगी. सूत्र बताते हैं कि भाजपा को डर है कि लोजपा यदि एनडीए से बाहर होती है और बीच चुनाव में रामविलास पासवान की तबीयत और भी बिगड़ जाती है, देर -सबेर उसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है. रामविलास पासवान ने अस्पताल में भर्ती होने के कुछ दिन पूर्व एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में कोरोना काल में बिहार विधानसभा चुनाव टाल देने की सलाह दी थी. साथ ही राज्य में राष्ट्रपति शासन का विकल्प सुझाया था. इधर, राजद के सांसद मनोज कुमार झा ने शनिवार को कहा कि तीन से चार दिनों में महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों का तालमेल का मामला निबट जायेगा.
एनडीए में राजद से जदयू में आये विधायकों को लेकर फंसा है पेच
एनडीए की तस्वीर पिछले चुनाव की तुलना में बदली हुई है. राजद से छह विधायक जदयू में शामिल हो चुके हैं. पिछले चुनाव में इनमें से अधिकतर सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी. भाजपा के भीतर इन सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने का दबाव है. दूसरी ओर, जदयू अपने साथ आये राजद के इन विधायकों को भी उम्मीदवार बनाना चाहता है. 2015 के विधानसभा चुनाव में एनडीए में भाजपा, लोजपा, रालोसपा और जीतनराम मांझी की पार्टी हम रही थी. उस समय जदयू महागठबंधन का हिस्सा था, जिसमें राजद और कांग्रेस शामिल थे. इस बार एनडीए में जदयू बड़ी पार्टी है और रालोसपा इससे अलग हो चुकी है. मांझी एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गये हैं. लोजपा के साथ जदयू की तनातनी बनी हुई है. कुल मिला कर एनडीए में जदयू, भाजपा, लोजपा व मांझी की पार्टी है. लोजपा यदि बाहर निकलने का फैसला लेती है, तो एनडीए में विधानसभा की 243 सीटों का बंटवारा 2010 के फाॅर्मूले के आधार पर ही होगा. 2010 के चुनाव में एनडीए में दो ही दल जदयू और भाजपा थे. जदयू 141 पर और भाजपा ने 102 सीटों पर उम्मीदवार दिये थे. जदयू अपने कोटे से मांझी को कुछ सीट दे सकती है.
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महागठबंधन की बदल गयी है केमेस्ट्री
इस बार महागठबंधन की केमेस्ट्री बदली हुई है. जदयू के बाहर आ जाने के बाद महागठबंधन से मांझी भी निकल आये हैं. उपेंद्र कुशवाहा निकलने के कगार पर हैं. फायदा यह कि राजद और कांग्रेेस के इस महागठबंधन में वाम दलों की इंट्री होने को है. वीआइपी पहले से ही इसमें शामिल है. 2015 के चुनाव में महागठबंधन में महज तीन पार्टियां राजद, जदयू और कांग्रेस रही थी. जदयू और राजद 101-101 तथा बाकी की 41 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार थे.राजद ने सहयोगी दलों को उसी शर्त पर सीटें देने की रणनीति बनायी है कि जिसमेें दल उम्मीदवार अपनी बिरादरी से ही उतारे. इसके लिए राजद ने रालोसपा, वीआइपी को उम्मीदवार की सूची भी दिखाने को कहा है.
राजद का तर्क
राजद का तर्क है कि बिरादरी आधारित पार्टियांं सीटें तो ले लेती हैं, पर उम्मीदवार दूसरी जातियों के नेताओं को बनाती है. इससे उस पार्टी से जुड़ी बिरादरी का भी वोट नहीं मिलता और राजद को इसका नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसी स्थिति में राजद कुशवाहा को सीटें देने की बजाय अपने दल से कुशवाहा नेताओं को उम्मीदवार बनाने का फैसला ले रही है.
पप्पू अकेले उतरेंगे मैदान में
पूर्व सांसद पप्पू यादव अपने बलबूते चुनाव मैदान में जाने की तैयारी में है. पप्पू यादव खुद भी उम्मीदवार होंगे. लोजपा यदि एनडीए से बाहर आती है तो पप्पू यादव उनके साथ हो सकते हैं.
मुकेश सहनी हैं राजद के साथ
सन आॅफ मल्लाह के नाम से चर्चित मुकेश सहनी को महागठबंधन में दस से पंद्रह सीटें मिल सकती हैं. पिछले साल हुए उपचुनाव में वीआइपी को अच्छे वाेट मिले थे.
सपा नहीं देगी उम्मीदवार, तीसरा मोर्चा भी मैदान में
तीसरे माेर्चे ने भी विधानसभा चुनाव में दस्तक दी है. पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के नेतृत्व कई पुराने नेता एक नये समीकरण की तैयारी कर रहे हैं. राकांपा भी कई सीटों पर अपने उम्मीदवार देगी. राष्ट्रीय पार्टी बसपा भी सभी सीटों पर अपने दम पर उम्मीदवार उतारेगी. समाजवादी पार्टी ने बिहार के चुनाव में इस बार अपने उम्मीदवार नहीं उतारने की घोषणा की है. रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के रास्ते अभी तय नहीं हो पाये हैं. सूत्र उनकी एनडीए में वापसी की संभावना भी जता रहे हैं.
एक- दूसरे के खिलाफ नहीं जायेंगे वाम दल
तीन प्रमुख वाम दल भाकपा माले, माकपा और भाकपा ने साफ कर दिया है कि वो एक दूसरे के खिलाफ कोई भी उम्मीदवार नहीं देंगे. वाम दलों की महागठबंधन के साथ तालमेल की बात अंतिम रूप नहीं ले पायी है. भाकपा माले महागठबंधन के फाॅर्मूले से संतुष्ट नहीं है. उसे कम से कम 50 सीटों की दरकार है, जबकि महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद इसके लिए तैयार नहीं है. इनके अलावा दर्जन भर छोटी छोटी पार्टियां भी मैदान में ताल ठोक कर खड़ी हैं.
2015 में यह थी स्थिति
दल-उम्मीदवार-जीते-वोट प्रतिशत
भाजपा-157-55-24.24 प्रतिशत
जदयू -101-71-16.83 प्रतिशत
राजद-101-80-18.35 प्रतिशत
कांग्रेस-41-27-6.68 प्रतिशत
लोजपा-42-2-4.83 प्रतिशत
रालोसपा-23-2-2.56 प्रतिशत
माकपा-43-0-0.61 प्रतिशत
भाकपा-98-0-1.36 प्रतिशत
बसपा-228-0-2.07 प्रतिशत
भाकपा माले-98-3-3.82 प्रतिशत
2010 में थी यह स्थिति
दल-उम्मीदवार-जीते-वोट प्रतिशत
भाजपा-102-91-16.49 प्रतिशत
कांग्रेस-243-4-8.37 प्रतिशत
जदयू-141-115-22.58 प्रतिशत
लोजपा-75-3-6.74 प्रतिशत
राजद-168-22-18.84 प्रतिशत
भाकपा माले-104-0-4.17 प्रतिशत
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya