राजदेव पांडेय, पटना : इसे बार के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशियों का सटीक चयन राजद ही नहीं, सभी स्थानीय दलों के सामने बड़ी चुनौती है. यह देखते हुए कि एआइएमआइएम इस बार मुस्लिम वोटर्स के बीच प्रभावी दखल देगा, तमाम पार्टियां दमखम वाले मुस्लिम उम्मीदवारों की तलाश में जुट गयी हैं.
दरअसल पिछले साल किशनगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उसके पक्ष में मुस्लिम वोटर्स का रुझान सामने आ चुका है. ऐसे में एआइएमआइएम ने इस बार अगर प्रभावी वोट काटे तो मुस्लिम मतदाताओं पर मजबूत पकड़ का दावा करने वाले महागठबंधन के राजद व वाम दल समेत एनडीए को भी अपना पुराना प्रदर्शन दोहराना चुनौतीपूर्ण होगा.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक प्रदेश के कुल मतदाताओं में 18 फीसदी से अधिक भागीदारी मुस्लिम मतदाताओं की है. यह मतदाता इस समय दोराहे पर खड़ा है. एक तरफ एनआरसी और उससे संबंधित मुद्दे हैं, जिसने एआइएमआइएम के लिए जमीन तैयार की है.
वहीं, महागठबंधन के राजद और कम्युनिस्ट दलों जुगलबंदी मुस्लिम वोटर्स की परंपरागत पसंद रहे हैं. हालांकि, जदयू ने एनडीए का घटक अंग होने के बाद भी मुसलमान मतदाताओं का भरोसा जीता है. ये सभी दल ने एआइएमआइएम की दस्तक से आशंकित होकर उसे वोटकटवा जरूर कह रहे हैं,लेकिन पूरी ताकत इन लोगों ने मुस्लिम सीटों पर रसूखदार प्रत्याशी तय करने में लगा रखी है.
posted by ashish jha