Bihar election 2020 : सबकी नजर जीरादेई पर, कौन मारेगा बाजी
जीरादेई विधानसभा क्षेत्र की पहचान गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली के रूप है. इसके साथ ही इस क्षेत्र की पहचान कुष्ठ रोग के उन्नमूलन के लिए शुरू हुए राजेंद्र सेवाश्रम के लिए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है.
हिमांशु कुमार , जीरादेई (सीवान) : जीरादेई विधानसभा क्षेत्र की पहचान गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली के रूप है. इसके साथ ही इस क्षेत्र की पहचान कुष्ठ रोग के उन्नमूलन के लिए शुरू हुए राजेंद्र सेवाश्रम के लिए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है. जब देश में कुष्ठ रोग को लेकर समाज में विषमता फैल रही थी, उस समय देशरत्न राजेंद्र बाबू से प्रेरणा लेकर जगदीश दीन ने कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए सेवाश्रम की स्थापना की थी.
1977 में गठित हुई थी जीरादेई विधानसभा
इस सेवाश्रम में भारत के अलावा विदेश से भी चिकित्सक रिसर्च के लिए आते थे. वहीं , कुष्ठ रोगियों को इलाज के साथ ही आत्मनिर्भर भी बनाया जाता था. वर्ष 1977 में गठित जीरादेई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस, जनता दल, जदयू और राजद को दो-दो बार जीत मिली है. वहीं, भाजपा व जनता पार्टी सेक्युलर के साथ निर्दलीय उम्मीदवार को भी एक-एक बार यहां विजय मिली है. 1990 में निर्दलीय, तो 1995 में जनता दल के टिकट पर मो शहाबुद्दीन यहां से विधायक बने थे. 2000 व 2005 (फरवरी) के चुनाव में राजद के एजाजुल हक ने भी दो बार बाजी मारी थी. 2005 (अक्तूबर) में हुए चुनाव में जदयू के श्याम बहादुर सिंह यहां से विधायक बने.
2010 में परिसीमन के बाद बदला समीकरण
2010 में नये परिसीमन के तहत इस क्षेत्र के भौगोलिक व सामाजिक संरचना में परिवर्तन हुआ. मैरवा विधानसभा क्षेत्र विलोपित हो गया. इस क्षेत्र के मैरवा व नौतन प्रखंड को जीरादेई विधानसभा क्षेत्र में समाहित किया गया. वहीं, बड़हरिया, हुसैनगंज व पचरुखी प्रखंड को हटाकर बड़हरिया व रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में समाहित किया गया. परिसीमन के चलते बदले सामाजिक समीकरण में वर्ष 2010 में भाजपा प्रत्याशी आशा देवी ने भाकपा माले के अमरजीत कुशवाहा को पराजित किया. वहीं, वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू उम्मीदवार रमेश सिंह कुशवाहा ने भाजपा प्रत्याशी को पराजित किया.
विकास के साथ जातिगत मुद्दे रहते हैं हावी :
विधानसभा क्षेत्र की राजनीति कई सालों से जातिगत मुद्दों के ही इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है. इस क्षेत्र से दो चुनावों से भाकपा माले भी अपनी ताकत का एहसास करा रही है. वर्ष 2010 के चुनाव में भाकपा- माले रनर रही. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. जदयू,भाजपा व भाकपा- माले के मतों का फासला भी कम था. वर्ष 2015 के चुनाव में विकास के साथ-साथ जातिगत व एमवाई समीकरण भी हावी रहा.
जीरादेई विधानसभा क्षेत्र एक नजर में
1977 – राजाराम चौधरी -कांग्रेस
1980 -राघव प्रसाद -जनता पार्टी सेक्युलर(चरण सिंह)
1985 -डाॅ त्रिभुवन नारायण सिंह -कांग्रेस
1990 – मो शहाबुद्दीन – निर्दलीय
1995 – मो शहाबुद्दीन -जनता दल
1996 (उपचुनाव) -शिवशंकर यादव -जनता दल
2000 -एजाजुल हक -राजद
2005 (फरवरी) -एजाजुल हक -राजद
2005 (अक्तूबर) – श्याम बहादुर सिंह -जदयू
2010 -आशा देवी -भाजपा
2015 -रमेश सिंह कुशवाहा -जदयू.
posted by ashish jha