दीपक राव,भागलपुर: भागलपुर कभी वामपंथियों के लिए इतना उर्वर था कि बिहपुर, गोपालपुर, कहलगांव, पीरपैंती व धौरेया विधानसभा क्षेत्रों से जीत का परचम लहराये थे और भागलपुर लोकसभा सीट से संसद जीतकर पहुंचे थे. वामपंथियों की ताकत धीरे-धीरे सिमटती गयी और अब एक सीट बचाना तो दूर दूसरे स्थान पर पहुंचना भी चुनौती बन गयी है. इतना ही नहीं, वामपंथी पार्टियां अलग-अलग धड़ों में बंटकर कुछेक हजार वोट से संतोष करने को विवश हैं.
जिले में भाकपा, माकपा का जनाधार रहा था. इसके साथ ही भाकपा-माले और एसयूसीआइ-सी के कैडरों की संख्या बढ़ने लगी थी. छात्र राजनीति में भी निर्णायक भूमिका में दिख रहे थे. भागलपुर जिले में पहली बार 1957 में बिहपुर और गोपालपुर विधानसभा क्षेत्रों से एक साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को सफलता मिली थी. बिहपुर से प्रभुनारायण राय और गोपालपुर से मणिराम सिंह उर्फ मणि गुरुजी ने बड़े अंतर से जीत दर्ज कराया था. फिर पीरपैंती से पहली बार 1967 में अंबिका प्रसाद ने जीत दर्ज कर वामपंथ की संसदीय राजनीति को आगे बढ़ाया. 1977 में धोरैया, बिहपुर, गोपालपुर और पीरपैंती से एक साथ सीपीआइ ने जीत दर्ज की और प्रदेश में वामपंथ को आगे बढ़ाने का काम किया.
मालूम हो कि धोरैया पहले भागलपुर जिले का हिस्सा था. ज्यों-ज्यों चुनाव में धनबल, बाहुबल, परिवारवाद और जातिवाद का प्रभाव बढ़ा, त्यों-त्यों लाल झंडे का बोलबाला खत्म होता नजर आने लगा. वाम दलों की संसदीय राजनीति में बने रहने की स्थिति खत्म हो गयी और धीरे-धीरे वाम दलों का किला ढहता चला गया.
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पिछले तीन विधानसभा चुनाव में तो वाम दल किसी भी सीट पर दूसरे स्थान पर नहीं रही और 20 साल में वाम दल को जिले के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में सफलता नहीं मिल पायी. कभी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एक-एक सीट पर लगातार जीत दर्ज कर दक्षिणपंथी पार्टी के लिए चुनौती बनी हुई थी और अब दूर-दूर तक नजरों से ओझल दिख रही है.
बिहपुर विधानसभा सीट से प्रभुनारायण राय 1957 से 62 तक, 1969-72 तक, 1972 से 77 तक विधायक रहे. फिर इसी दल से सीताराम सिंह आजाद 1977 से 80 तक विधायक चुने गये. गोपालपुर सीट से 1957 से 62तक, 1967 से 69 तक, 1977 से 80 तक मणिराम सिंह उर्फ मणि गुरुजी विधायक चुने गये. पीरपैंती से अंबिका प्रसाद 1969,1977,1980, 1990, 1995 में एक ही पार्टी में रहकर चुनाव लड़े और जीते. 1967 में सीपीआइ के ही नागेश्वर सिंह कहलगांव विधानसभा सीट से जीते थे. उन्होंने तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री मकबूल अहमद को चुनाव में हराया था.
1989 तक भागलपुर और बांका एक ही जिला भागलपुर था. वर्तमान में बांका जिला अंतर्गत धौरेया विधानसभा सीट से पहली बार नरेश दास 1972, 1977, 1980, 1990, 1995 में विधायक चुने गये. सीपीएम से सुबोध राय एक बार विधान परिषद सदस्य रहे. 1999 में राजद के साथ गठबंधन के तहत सीपीएम प्रत्याशी सुबोध राय ने भागलपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी. 2004 में सुबोध राय हार गये और वे बाद में जदयू में शामिल हो गये. इसके बाद वाम दलों का कोई भी नेता संसदीय राजनीति में सफल नहीं दिख रहे हैं.
Published by : Thakur Shaktilochan Shandilya