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Bihar Election 2020 : विभूतिपुर में मास्को की ध्वस्त दीवार को खड़ी करना वामपंथियों के लिए बड़ी चुनौती

Bihar Vidhan Sabha Election Date 2020 : कभी जिले का मास्को कहे जाने वाले विभूतिपुर विधानसभा सीट पर छह बार सीपीआइएम ने अपना झंडा बुलंद रखा है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 5, 2020 10:04 AM
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समस्तीपुर : कभी जिले का मास्को कहे जाने वाले विभूतिपुर विधानसभा सीट पर छह बार सीपीआइएम ने अपना झंडा बुलंद रखा है. वामपंथ की इस किले को 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू के रामबालक सिंह ने फतह किया था. वर्ष 2015 में भी जदयू का कब्जा इस सीट पर बरकरार रहा. वर्ष 2015 में भी रामबालक सिंह ने 17235 वोट से सीपीएम के रामदेव वर्मा को पराजित किया था. इस सीट पर 2015 में लोजपा के रमेश कुमार राय 32261 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे.

इससे पूर्व फरवरी 2005 तथा अक्तूबर 2005 में जब लोजपा की टिकट से रामबालक पासवान यहां चुनाव लड़े थे, दोनों बार सीपीआइएम के रामदेव वर्मा ने उन्हें पराजित किया था. इस बार फिर इस सीट पर अपनी वापसी के लिए सीपीआइएम एड़ी चोटी एक किये हुए हैं, लेकिन मास्को की ध्वस्त दीवार को खड़ी करना सीपीआइएम के लिए बड़ी चुनौती होगी. जिले का यह विधानसभा सीट हमेशा चर्चा में रहा है. इस सीट पर दूसरे चरण में तीन नवंबर को चुनाव होना है.

परिणाम तो लोगों के सामने मतगणना के बाद ही आयेगा. लेकिन जीत हार का समीकरण अभी से बिठाया जा रहा है. इस सीट पर छह बार सीपीआइएम का झंडा बुलंद करने वाले रामदेव वर्मा का अधिक उम्र होने के कारण इस बार यहां से उम्मीवारी की संभावना कम है, ऐसे में सीपीआइएम किसी अन्य चेहरे को मैदान में उतारेगी. जदयू के सीटिंग विधायक रामबालक सिंह के साथ कई अन्य प्रत्याशी भी जदयू के टिकट की ओर टकटकी लगाये हुए हैं.

युवा मतदाता होंगे निर्णायक : विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 267326 मतदाता हैं, इनमें सर्वाधिक संख्या 30 से 39 वर्ष के युवा मतदाताओं की है. 30 से 39 वर्ष के 81578 मतदाता हैं. वहीं 18 से 19 वर्ष के नये मतदाताओं की संख्या 4160 है.20 से 29 वर्ष 63310 मतदाता हैं. कुल पुरुष मतदाता 142267 तथा महिला मतदाता 125049 है.

किस दल से किनकी होगी दावेदारी : विभूतिपुर विधानसभा सीट से इस बार जदयू से वर्तमान विधायक रामबालक महतो, सीपीआइएम से अजय कुमार, लोजपा अगर अलग होकर चुनाव लड़ती है, तो रमेश राय, कांग्रेस से चंद्रबली ठाकुर अपनी दावेदारी दे सकते हैं. इसके अलावा यहां से कई निर्दल भी जोर आजमाइश में जुटे हैं.

नहीं बन सका पटपारा पुल : क्षेत्र में वैसे तो कई समस्याएं हैं, लेकिन बूढ़ी गंडक नदी पर पटपारा घाट पर पुल निर्माण की मांग लंबे से पूरी नहीं हो सकी है. यहां पर पुल नहीं होने से लोगों को आवाजाही में बहुत अधिक परेशानी होती है. किसानों के सामने सिंचाई की समस्या आज भी बनी हुई है. कई क्षेत्रों में सड़क की स्थिति बदहाल है. यहां लोग अपराध से भी त्रस्त रहे हैं.

Posted by Ashish Jha

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