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Bihar Election 2020 : सुल्तानगंज के उद्योग-धंधे हो गये चौपट व्यवसायी मजदूर कर गये पलायन, पर नहीं बना चुनावी मुद्दा

History and prospects of Sultanganj : कभी अनाज की मंडी व खाद्य तेल उत्पादन के लिए मशहूर सुल्तानगंज का नाम राज्य के महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में जाना जाता था.

गौतम वेदपाणि, भागलपुर : कभी अनाज की मंडी व खाद्य तेल उत्पादन के लिए मशहूर सुल्तानगंज का नाम राज्य के महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में जाना जाता था. वहीं ऑटोमोबाइल, कृषि यंत्र उत्पादन, लकड़ी काष्ठ उद्योग, चूड़ा व मकई के प्रोसेसिंग सेंटर, वैशाली कॉपी उत्पादन, खादी ग्रामोद्योग समेत अन्य घरेलू खाद्य पदार्थ के उत्पादन में सुल्तानगंज का राज्य में महत्वपूर्ण स्थान था. लेकिन सरकारी सहयोग नहीं मिलने और आपराधिक घटनाओं के कारण कारोबारी अपने परिवार के साथ कोलकाता, रांची, दिल्ली समेत अन्य शहरों में पलायन कर गये.

बीते 25 वर्षों से अबतक यहां के बड़े बड़े अनाज के गोले व सरसों के तेल मिल बंद हो गये हैं. शहर के महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र पार्वती मिल के सारे तेल व अनाज के मिल बंद हो चुके हैं, यहां की सभी जमीनें बिक चुकी है. कभी उद्योग धंधे के लिए मशहूर पार्वती मिल में अब कॉलोनी बस गयी है. इसके अलावा बालूघाट रोड, स्टेशन रोड, महाजन टोला, कृष्णगढ़ की तरफ जाने वाली अपर रोड में व्यापारिक गतिविधियों का नामो निशान मिट चुका है.

कभी जहाज घाट से लेकर रेलवे स्टेशन व सीतारामपुर रेलवे क्राॅसिंग तक कई उद्योग धंधे फल फूल रहे थे. वहीं अपर रोड का कारोबारी चकाचौंध अब खत्म हो चुका है. इस समय शहर में उद्योग के नाम पर कुछ ईंट भट्ठे व मध्यम दर्जे की उत्पादन इकाई का संचालन हो रहा है. स्थानीय मतदाताओं का कहना है कि बीते 30 वर्षों में सुल्तानगंज ने जो कुछ भी खोया, उसे दोबारा बहाल करने में जो राजनीतिक दल सामने आयेगा, हम उसी को अपना वोट देंगे.

रेल के माध्यम से हजारों टन अनाज का होता था निर्यात : सुलतानगंज रेलवे स्टेशन के पश्चिमी छोर पर एक विशालकाय मालगोदाम का संचालन किया जाता था. यहां पर मालगाड़ी के माध्यम से हजारों टन मकई, चावल, चूड़ा, खाद्य तेज, गुड़, केले समेत विभिन्न तरह के उपभोक्ता वस्तु का निर्यात होता था. सैकड़ों बैलगाड़ियां दिनभर माल को इधर-उधर पहुंचाने में व्यस्त रहते थे.

अगवानी घाट से सुलतानगंज के बीच नाव व जहाज के माध्यम से मधेपुरा, खगड़िया, नवगछिया अनुमंडल व कोसी सीमांचल के विभिन्न जिलों से मकई व केले की खेप की लोडिंग व अनलोडिंग की जाती थी. लेकिन अपराधियों के भय से कारोबारियों ने सुल्तानगंज से अपना मुंह मोड़ लिया. वहीं रेलवे स्टेशन से सटे डिस्टिलरी को बंद कर दिया गया है. ईख उत्पादन करने वाले किसानों ने खेती बंद कर दी.

पर्यटन की असीम संभावनाएं, श्रावणी मेले की सरकारी उपेक्षा : सुल्तानगंज में हर साल श्रावणी मेले के दौरान 50 लाख तीर्थयात्री आते हैं. करीब 10 लाख कांवरिये अन्य माह में यहां पहुंचते हैं. लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को जरूरी सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. वहीं अजगैबीनाथ व मुरली पहाड़ी समेत गंगाघाट के सौंदर्यीकरण में अबतक किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि व राज्य सरकार ने कोई सुधि नहीं ली.

बिजली कटाैती, विधि व्यवस्था व अफसरशाही से बंद हुआ कारोबार : शहर के तेल मिल संचालकों ने बताया कि हाल के दिनों में बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है. लेकिन दो दशक तक हमें जेनरेटर चलाकर महंगे सरसों के तेल का उत्पादन करना पड़ा. वहीं विधि व्यववस्था में कमी और अफसरशाही के कारण कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ा. अफसरशाही ऐसी कि जानबूझकर बिजली आपूर्ति बंद कर दी जाती थी. इसके अलावा शहर की कृषि मंडी के विकास में सरकार ने कोई रुचि नहीं ली.

कारोबारियों ने स्कूल, कॉलेज व अस्पताल खोले : नब्बे के दशक तक कारोबार में मुनाफा कमाने वाले कारोबारियों ने यहां पर कॉलेज, स्कूल, अस्पताल समेत सिनेमा हॉल, रंगमंच, मंदिर व अन्य सार्वजनिक स्थलों को विकसित किया. बाहर से आने वाले कारोबारियों से चंदा लेकर यहां पर श्रावणी मेला, दुर्गापूजा समेत अन्य त्योहारों का धूमधाम से आयोजन होता रहा. लेेकिन अब वह बात नहीं रही.

Posted By Ashish Jha

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