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Bihar Election 2020: वोटरों को लुभाने के लिए भावी उम्मीदवार तैयार करवा रहे चुनावी गीत, जानें किन गीतों की है डिमांड…

अश्वनी कुमार राय, पटना: विधानसभा चुनाव की तिथि भले ही अभी तक घोषित नहीं की गयी है, लेकिन शहर में चुनावी चर्चा जोरों पर है. वोटरों को लुभाने के लिए भावी उम्मीदवार चुनावी गीत तैयार करवा रहे हैं. पार्टी से लेकर उम्मीदवार विशेष के पक्ष में ठेठ देहाती भाषा में बने गीत काफी लोकप्रिय हो रहे हैं. इससे संबंधित गाने सोशल मीडिया पर भी छा रहे हैं. शहर के कुछ खास स्टूडियो में ऑडियो और वीडियो गाने की रिकॉर्डिंग चल रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 22, 2020 9:20 AM
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अश्वनी कुमार राय, पटना: विधानसभा चुनाव की तिथि भले ही अभी तक घोषित नहीं की गयी है, लेकिन शहर में चुनावी चर्चा जोरों पर है. वोटरों को लुभाने के लिए भावी उम्मीदवार चुनावी गीत तैयार करवा रहे हैं. पार्टी से लेकर उम्मीदवार विशेष के पक्ष में ठेठ देहाती भाषा में बने गीत काफी लोकप्रिय हो रहे हैं. इससे संबंधित गाने सोशल मीडिया पर भी छा रहे हैं. शहर के कुछ खास स्टूडियो में ऑडियो और वीडियो गाने की रिकॉर्डिंग चल रही है.

एक महीने पहले से हो रही तैयारी

लोटस एवियो डिजिटल स्टूडियो के संचालक ने बताया कि चुनाव के एक महीने पहले से रिकॉर्डिंग शुरू हो जाती है. खास कर लिरिक्स तो और भी पहले तैयार किये जाते हैं. इस बार विधानसभा चुनाव के लिए गाने बनने लगे हैं. पहले पार्टी के लिए गाना तैयार होता है. इसके बाद उम्मीदवार अपने लिए गाने बनवाते हैं. इसके अलावा कई लोग कलाकारों द्वारा कमेंट्री भी कराते हैं. साथ ही चुनाव की पंच लाइन भी कलाकार तैयार करते हैं. जैसे कि ‘अबकी बार मोदी सरकार’, ‘बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है’, ‘इस बार लालू के बनेंगे तेज सरकार’, जैसी कई पंचलाइन कलाकारों ने तैयार किये हैं. इस तरह की कई पंचलाइन और स्लोगन बनाये जाते हैं, जिसे पार्टी अपनी पसंद के अनुसार तय करती है.

पांच हजार से शुरू होती है गाने की रिकॉर्डिंग

चुनावी गीत को तैयार करने की शुरुआती दर पांच हजार रुपये है. स्टूडियो संचालकों के मुताबिक चुनाव के दौरान उम्मीदवार अपने लिए गीत तैयार करवाते हैं, तो कम- से -कम पांच हजार रुपये खर्च करने होते हैं. अगर पार्टी के लिए गाने बनाये जाते हैं, तो कम- से – कम 20 से 25 हजार रुपये लगते हैं. इसके अलावा अगर गाने की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग करानी हो तो उसके लिए 10 से 15 हजार रुपये लगते हैं. फिलहाल पार्टियों के गीत की रिकॉर्डिंग जारी है. चुनाव चिह्न और उम्मीदवार तैयार होने पर अलग से गाने बनाये जाते हैं. शहर में गाने की रिकॉर्डिंग करने का स्टूडियो बाकरगंज में अधिक है. इसके अलावा कदमकुआं, कंकड़बाग और बेली रोड में भी स्टूडियो हैं.

कोरोना काल का किया जा रहा जिक्र

इस बार गाने की तैयारी में कोरोना काल का जिक्र किया जा रहा है. ऐसे में गाने की बोल में भी सोशल डिस्टैंसिंग बनाये रखने और कोरोना के नियमों का पालन करने के बारे में जानकारी दी जा रही है. पार्टी द्वारा गीत तैयार किये जाने पर जनता की हित की बात अधिक होती है. इन दिनों ठेठ भाषा में गाने की मांग अधिक है, जिसमें मगही, मैथिली और भोजपुरी भाषा का प्रयोग किया जा रहा है.

क्या कहते हैं कलाकार

अभी के समय गाने की तैयारी चल रही है. हमने बीजेपी, हम और अन्य पार्टियों के लिए गाने भी तैयार किये हैं. इसके साथ ही टैगलाइन व कमेंट्री की रिकॉर्डिंग भी चल रही है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आयेगा. वैसे-वैसे हम लोगों का प्रेशर बढ़ेगा क्योंकि पार्टी के गानों के बाद उम्मीदवार अपने लिए गाने तैयार करवाने लगते हैं. खास कर जब चुनाव चिह्न मिल जाता है तब अलग-्अलग गानों की मांग करते हैं. इसलिए अपने तरफ से पूरी तैयारी करनी पड़ती है, ताकि समय पर सभी के के गाने तैयार हो जाने चाहिए. मैं पिछले पांच विधानसभा चुनाव के समय से यह कार्य कर रहा हूं.

श्रीकांत सिन्हा, गायक व लेखक

बहुत जगह से गाने के लिए ऑर्डर आने शुरू हो गये

बहुत जगह से गाने के लिए ऑर्डर आने शुरू हो गये हैं. मैंने इस बार आरजेडी के लिए पहला गीत गाया है. पार्टी का गाना बनना शुरू हो गया है. इस तरह के गाने में पूरी तैयारी करनी होती है. कई लोग कोरस के साथ गाने की मांग करते हैं. वहीं भाषण भी रिकॉर्डिंग कराते हैं. इसके अलावा टैग लाइन व पंच लाइन बनानी पड़ती है. ऐसे में मानसिक रूप से कलाकारों को पहले तैयार रहना पड़ता है क्योंकि गाने के लिखने की शैली भी आनी चाहिए. कलाकारों का विजन और कंसेप्ट क्लियर रखना पड़ता है. गाने में किसी भी प्रकार अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. यह ध्यान देना होता है.

अतुल कुमार शर्मा, गायक व लेखक

Published by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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