1982 का दलसिंहसराय का विधानसभा उपचुनाव था. यहां के मौजूदा कांग्रेसी विधायक जगदीश प्रसाद चौधरी के निधन से खाली हुई सीट पर उपचुनाव कराया गया था. कांग्रेस पार्टी ने काफी जद्दोजहद और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हस्तक्षेप के बाद दिवंगत विधायक के पुत्र विजय कुमार चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया था.
विपक्ष ने अपना उम्मीदवार रामपदारथ महतो को बनाया. उपचुनाव में आम तौर पर राष्ट्रीय नेता चुनाव प्रचार के लिए नहीं आते, पर जनता पार्टी सेकुलर की आेर से खड़े उम्मीदवार रामपदारथ महतो के पक्ष में जाॅर्ज फर्नांडीस और कर्पूरी ठाकुर ने प्रचार किया था. उस समय बैलेट पेपर से चुनाव हुआ करता था. सभी पक्ष एक दूसरे पर बूथ कब्जा और इसी तरह के अन्य आरोप लगाते थे. चुनाव हुआ तो जो जहां भारी रहा, वोट किया.
विजय कुमार चौधरी के खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायत की गयी. उस समय फैक्स का जमाना था. चुनाव के दिन ही फैक्स किये गये. बात यहीं नहीं रुकी. जाॅर्ज फर्नांडीस और कर्पूरी ठाकुर उसी रात दिल्ली रवाना हो गये. वहां चुनाव आयोग को लिखित शिकायत भी की गयी. उन दिनों वोटों की गिनती में भी दो से तीन दिन लग जाते थे. मैनुअल तरीके से बैलेट पेपर की गिनती होती थी, लेकिन गिनती पूरी हो जाने के बाद जीत का प्रमाणपत्र जारी नहीं हुआ था.
विजय कुमार चौधरी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से करीब चालीस हजार मतों से आगे थे. चुनाव आयोग में दायर लिखित शिकायत पर सुनवाई शुरू हुई. दोनों पक्षों ने वकील के माध्यम से अपना पक्ष आयोग के समक्ष रखा. विजय कुमार चौधरी की ओर से पटना से उन दिनों के वरीय अधिवक्ता केपी वर्मा और एक अन्य वरीय अधिवक्ता दिल्ली गये और आयोग के सामने अपने तथ्य रखे.
दूसरे दिन भी सुनवाई हुई. तब तक सात दिन बीत चुके थे. अंतिम दिन आयोग ने सभी तथ्याें की जांच- परख के बाद संतुष्ट होने पर विजय कुमार चौधरी को चुनाव जीत का प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश दिया. इस प्रकार सात दिनों के बाद विजय कुमार चौधरी की जीत की घोषणा हुई. श्री चौधरी सोलहवीं बिहार विधानसभा के अध्यक्ष हैं.
posted by ashish jha