Bihar election 2020 : मुजफ्फरपुर में 25 वर्षों से कांग्रेस, 20 वर्षों से राजद को है जीत इंतजार
कभी कांग्रेस का गढ़ रहे मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प रहने के आसार हैं. भाजपा इस बार हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतरेगी, तो दूसरी ओर महागठबंधन में कांग्रेस व राजद के सामने एक बार सीट पर कब्जा जमाना चुनौती होगा.
प्रभात कुमार, मुजफ्फरपुर : कभी कांग्रेस का गढ़ रहे मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प रहने के आसार हैं. भाजपा इस बार हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतरेगी, तो दूसरी ओर महागठबंधन में कांग्रेस व राजद के सामने एक बार सीट पर कब्जा जमाना चुनौती होगा. शहर के वोटरों के मिजाज की बात करें तो समय के साथ उनमें बदलाव होता रहा. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है 1995 में कांग्रेस के दिग्गज नेता व तीन बार विधायक रहे रघुनाथ पांडेय को हरा जनता ने विजेंद्र चौधरी जैसे नये नेता पर विश्वास किया था. उस समय विजेंद्र जनता दल से चुनाव लड़े थे.
दस साल से सीट भाजपा के खाते में
फिलहाल दस साल से यह सीट भाजपा के खाते में है. नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा अभी वर्तमान विधायक हैं. इस लिहाज से राजनीतिक रूप से इस सीट पर पूरे राज्य की नजर है. सुरेश शर्मा पिछले दो दशकों से चुनावी अखाड़े में उतरते रहे हैं. 2000 व 2005 के चुनाव में विजेंद्र चौधरी से उन्हें मात खानी पड़ी. उसके बाद 2010 से लगातार यहां के विधायक हैं. शहर की राजनीति पर एक समय में मजबूत पकड़ रखने वाले विजेंद्र चौधरी लगातार दल बदलते रहे. विजेंद्र चौधरी ने शहर में 1995 से जनता दल से, 2000 में राजद से व 2005 में (दो चुनाव हुए थे) में वे निर्दलीय जीते थे.
कभी कांग्रेस का गढ़ था
वर्ष 1952 पहले चुनाव में कांग्रेस के शिवनंदा, 1957 में पीएसपी के महामाया प्रसाद जीते. इसके बाद कांग्रेस ने फिर 1962 में वापसी की और देवनंदन ने चुनाव जीता. 1967 में भी कांग्रेस के एमएल गुप्ता ने बाजी मारी. इसके बाद 1969 के चुनाव में जनता का मिजाज बदला और सीपीआइ के रामदेव शर्मा को जिताया. फिर 1972 में दूसरी बार सीपीआइ से रामदेव जीते. 1977 में जनता दल की लहर में मंजय लाल ने बाजी मारी. 1980 में एक बार फिर शहर की राजनीति ने करवट ली और कांग्रेस को मौका दिया. 1980 से लगातार तीन बार 1990 तक रघुनाथ पांडेय कांग्रेस से विजयी हुए. 1995 से में जनता दल के विजेंद्र चौधरी ने दिग्गज नेता रघुनाथ पांडेय को हराकर राजनीति में भूचाल ला दिया.
ये रहे चुनावी मुद्दे
वैसे तो चुनावी मुद्दे से ज्यादा यहां पार्टी व जाति वोटरों पर हावी होती रही. शहर के विकास व सौंदर्यीकरण की मांग लगातार चुनाव के दौरान उठती रही. लीची सिटी के रूप में प्रसिद्ध इस शहर को मिनी बॉम्बे बनाने की बात हुई थी. बियाडा में उद्योग धंधे लगाने को लेकर भी चुनाव में चर्चा होती रही. लीची व मकई के लिए प्रोसेसिंग यूनिट की मांग भी बार बार उठी.
posted by ashish jha